यूपी बोर्ड कक्षा 12 सामान्य हिंदी पेपर 2022- 24 मार्च को यही आयेगा

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इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं। दोनों खण्डों के सभी प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक है।

                              खण्ड ‘क’

1. क) ‘रानी केतकी की कहानी’ के लेखक हैं-
i) सदासुखलाल
ii) लल्लू लाल
iii) इंशा अल्ला खाँ
iv) सदल मिश्र।
ख) ‘सरस्वती’ पत्रिका के सम्पादक हैं-
i) जयशंकर प्रसाद
ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी
iii) महावीर प्रसाद द्विवेदी
iv) सम्पूर्णानन्द ।
ग) ‘द्विवेदी युग’ का नामकरण हुआ है
i) महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर
ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी के नाम पर
iii) जयशंकर प्रसाद के नाम पर
iv) रामकुमार वर्मा के नाम पर |
घ) ‘बहादुर’ की रचना-विधा है-
i) कहानी
ii) उपन्यास
iii) नाटक
iv) जीवनी।
ङ) ‘राष्ट्र का स्वरूप’ निबन्ध के लेखक हैं –
i) डॉ० सम्पूर्णानन्द
ii) सरदार पूर्ण सिंह
iii) रामवृक्ष बेनीपुरी
iv) वासुदेवशरण अग्रवाल।
2. क) निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रन्थ आदिकाल का है?
i) रामचरितमानस
ii) पद्मावत
iii) पृथ्वीराज रासो
(iv) कामायनी ।
ख) ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रतिनिधि कवि है –
i) तुलसीदास
ii) सूरदास
iii) नन्ददास
iv) कबीरदास ।
ग) महादेवी वर्मा का प्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह है
i) स्वर्णकाल
ii) रश्मि
iii) नीरजा
iv) सान्ध्यगीत।
घ) रीतिकाल का अन्य नाम है
i) स्वर्ण काल
ii) उद्भव काल
iii) शृंगार काल
iv) संक्रान्ति काल
ङ) ‘कामायनी’ महाकाव्य के रचयिता हैं
i) मैथिलीशरण गुप्त
ii) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
iii) जयशंकर प्रसाद
iv) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ।
3. दिये गये गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 5×2 = 10
मगर उदास होना भी बेकार है। अशोक आज भी उसी मौज में है, जिसमें आज से दो हजार वर्ष पहले था। कहीं भी तो कुछ नहीं बिगड़ा है, कुछ भी तो नहीं बदला है। बदली है मनुष्य की मनोवृत्ति। यदि बदले बिना वह आगे बढ़ सकती तो शायद वह भी नहीं बदलती। और यदि वह न बदलती और व्यावसायिक संघर्ष आरम्भ हो जाता—मशीन का रथ घर्घर चल पड़ता—विज्ञान का सावेग धावन चल निकलता, तो बड़ा बुरा होता। [उत्तर- अशोक के फूल-हजारी प्रसाद द्विवेदी]
i) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
ii) क्या बदली है?
iii) ‘अशोक आज भी उसी मौज में है’ से क्या आशय है?
iv) व्यावसायिक संघर्ष कब आरम्भ हो जाता है?
v) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूमि का निर्माण देवों ने किया है, वह अनन्त काल से है। उसके भौतिक रूप, सौन्दर्य और समृद्धि के प्रति सचेत रहना हमारा आवश्यक कर्त्तव्य है। भूमि के पार्थिव स्वरूप के प्रति हम जितने अधिक जागृत होंगे, उतनी ही अधिक हमारी राष्ट्रीयता बलवती हो सकेगी। यह पृथ्वी सच्चे अर्थों में समस्त राष्ट्रीय विचारधाराओं की जननी है। जो राष्ट्रीयता पृथ्वी के साथ नहीं जुड़ी वह निर्मूल होती है। राष्ट्रीयता की जड़ें पृथ्वी में जितनी गहरी होंगी उतना ही राष्ट्रीय भावों का अंकुर पल्लवित होगा। इसलिए पृथ्वी के भौतिक स्वरूप की आद्योपान्त जानकारी करना, उसकी सुन्दरता, उपयोगिता और महिमा को पहचानना आवश्यक धर्म है। [उत्तर-राष्ट्र का स्वरूप- वासुदेवशरण अग्रवाल)
i) भूमि का निर्माण किसने किया है?
ii) उक्त गद्यांश का सन्दर्भ दीजिए।
iii) हमारा आवश्यक कर्तव्य गद्यांश में क्या बताया गया है?
iv) पृथ्वी किसकी जननी है?
v) राष्ट्रीय भावों का अंकुर कब पल्लवित होता है?
4. दिये गये पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 5×2 = 10

मैं नीर भरी दुख की बदली।
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हँसा,
नयनों में दीपक से जलते
पलकों में निर्झरिणी मचली।
[उत्तर- गीत—महादेवी वर्मा
i) उक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
ii) कवयित्री ने अपनी तुलना किससे की है और क्यों ?
iii) स्पंदन में चिर निस्पद वसा का क्या अभिप्राय है?
iv) ‘नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली’ का
v) ‘मेरा पग-पग संगीतभरा’ का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पशु-बल की काया से जग को दिखलाई आत्मा की विमुक्ति,
विद्वेष घृणा से लड़ने को सिखलाई दुर्जय प्रेम-युक्ति,
वर श्रम-प्रसूति से की कृतार्थ तुमने विचार परिणीत उक्ति विश्वानुरक्त हे अनासक्त, सर्वस्व-त्याग को बना मुक्ति ![उत्तर- बापू के प्रति सुमित्रानन्दन पन्त ]
i) प्रस्तुत पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
ii) ‘पशु बल की काया से क्या आशय है
iii) सर्वस्व मात्र का अर्थ बताइए।
iv) प्रस्तुत पद्यांश का काव्य सौन्दर्य लिखिए।
v) प्रस्तुत पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
5. क) निम्नलिखित में से किसी एक लेखक
का साहित्यिक परिचय देते हुए उनको रचनाओं का उल्लेख कीजिए 2+2 = 4
i) वासुदेवशरण अग्रवाल
ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी
iii) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुलकलाम
ख) निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय एवं उनकी प्रमुख कृतियों पर प्रकाश डालिए (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द) – 2+2=4
i) अयोध्यासिंह उपाध्याय
ii) जयशंकर प्रसाद
iii) महादेवी वर्मा
6. ‘प्रायश्चित’ अथवा ‘पंचलाइट’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। ‘ध्रुवयात्रा’ अथवा ‘समय’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
7. स्वपठित नाटक के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिए (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द)
1) ‘राजमुकुट’ नाटक की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा

‘राजमुकुट’ नाटक के नायक का चरित्र चित्रण कीजिए।
ii) आन का मान’ नाटक की कथा अपने शब्दों में लिखिए। ‘आन का मान’ के प्रमुख पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।
iii) ‘गरुड़ध्वज’ नाटक की कथा का सार लिखिए।
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर बासंती का चरित्रांकन कीजिए।
iv) ‘कुहासा और किरण’ नाटक का सारांश लिखिए।
‘कुहासा और किरण’ नाटक के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
v) ‘सूतपुत्र’ नाटक का कथासार अपने शब्दों में लिखिए।
‘सूतपुत्र’ नाटक के आधार पर परशुराम का चरित्र चित्रण कीजिए।
8. स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर किसी एक खण्ड के एक प्रश्न का उत्तर दीजिए (अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द) 4
i) ‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए। ‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के नायक का चरित्र चित्रण कीजिए।
ii) रश्मिरथी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए। ‘रश्मिरथी’ खण्डकाव्य के आधार पर कर्ण का चरित्र चित्रण कीजिए।
iii) ‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु को अपने शब्दों में लिखिए।
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के आधार पर हर्षवर्धन’ का चरित्र चित्रण कीजिए।
iv) आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए। आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के आधार पर महात्मा गाँधी का चरित्र चित्रण कीजिए।
v) ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए।
‘ सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर द्रौपदी का चरित्र चित्रण कीजिए।
vi) ‘श्रवणकुमार के अभिशाप सर्ग की कथावस्तु लिखिए।
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर श्रवणकुमार का चरित्र चित्रण कीजिए।

                                खण्ड ख

9. (क) दिये गये संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए 2+5=7 संस्कृतसाहित्यस्य आदि कवि: वाल्मीकि महर्षियासः कविकुलगुरुः कालिदास अन्ये चभास- भारवि भवभूत्यादयो महाकाव्यः स्वकीयैः ग्रन्थरलैः अद्यापि पाठकाना इति विराजन्ते। इयं भाषा अस्माभिः मातृसमं सम्माननीया वन्दनीया च यतो भारतमातुः स्वातन्त्र्यं गौरवम् अखण्डत्व सांस्कृतिकमेकत्वञ्च संस्कृतेनैवसुरक्षितुं शक्यन्ते
अथवा
हिन्दी संस्कृताङ ग्लभाषासु अस्य समान अधिकारः आसीत् । हिन्दीहिन्द हिन्दुस्थानानामुत्थानाय अयं निरन्तर प्रयत्नमकरोत् । शिक्षयैव देशे समाजे च नवीनः प्रकाश: उदेति अत: श्रीमालवीय वाराणस्यां काशीहिन्दू विश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत् । अस्य निर्माणाय अयं जनान् धनम् अयाचत जनाश्च महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे प्रभूत धनमस्मै प्रायच्छन्, तेन निर्मितोऽयं विशाल: विश्वविद्यालय: भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरिव विभाति (उत्तर महामना मालवीयः)
(ख) दिये गये पद्यांशों/श्लोकों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए
न मे रोचते भद्र वः उलूकस्याभिषेचनम्।
अक्रुद्धस्य मुखं पश्य कथं क्रुद्धो भविष्यति ॥
अथवा
भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती।
तस्या हि मधुरं काव्यं तस्मादपि सुभाषितम् ॥ [उत्तर सुभाषितरत्नानि

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