हास्य रस – हास्य रस की परिभाषा – हास्य रस किसे कहते हैं? – यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी व्याकरण (Hasya Ras ki paribhasha sahit udaharan)
हास्य रस/हास्य रस की परिभाषा/हास्य रस किसे कहते हैं?
किसी व्यक्ति की परिधान, वचन, विलक्षण आकृति या कार्य को देखकर हमारे हृदय में उत्पन्न हास नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से हास्य रस का रूप धारण करता है |
- हास्य रस संभवत सभी रसों में सबसे सुखात्मक रस होता हैं |
हास्य रस के उदाहरण –
मातहिं पितहिं उरिन भये नीके |
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के ||