The Last Lesson Hindi Explanation Up Board | The Last Lesson in Hindi | The Last Lesson Class 12th Up Board | Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 1 in Hindi
SKM STUDY CLASSES (एसकेएम स्टडी क्लासेस) के इस ब्लॉग पोस्ट में हम The Last Lesson in Hindi अर्थात The Last Lesson Class 12th Up Board अर्थात Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 1 in Hindi को विस्तार से वर्णन किया हैं |
इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से The Last Lesson Hindi Translation में बताया हैं | जो कि Up Board Class 12th English The Last Lesson in Hindi को Up Board के NCERT Based Book के आधार पर बताया हैं |
The Last Lesson Up Board
मेरे सभी स्टूडेंट ये पोस्ट Up Board Class 12 English Flamingo Prose Chapter 1 Ka Hindi Translation या यह कह सकते हैं की The Last Lesson ka Hindi Translation को बताया हैं |
The Last Lesson in Hindi Up Board
The Last Lesson का हिन्दी अनुवाद आखिरी सबक हैं, इस चैप्टर के लेखक Alphonse Daodet हैं |
The Last Lesson About The Author
The Last Lesson Writer Name is Alphonse Daodet. Alphonse Daodet was a French Novelist and He was the husband of Julia Daubet.their birth 13 May 1840 and their death 16 December 1897. Alphonse Daodet citizenship was French.
The Last Lesson About The Author in Hindi
The Last Lesson अर्थात अंतिम सबक के लेखक का नाम अल्फोंस डाओडेट है। अल्फोंस डाओडेट एक फ्रांसीसी उपन्यासकार थे और वह जूलिया ड्यूबेट के पति थे। उनका जन्म 13 मई 1840 और उनकी मृत्यु 16 दिसंबर 1897 को हुआ था। अल्फोंस डाओडेट फ्रेंच के नागरिक थे |
The Last Lesson About The Chapter
The last lesson written by Alphonse Daudet and narrates about the year 1870 when the Prussian forces under Bismarck attacked and Captured France. The new Prussian rulers discontinued the teaching of French language in the schools of Alsace and Lorraine The French teachers were asked to leave.
The Last Lesson About The Chapter in Hindi
The Last Lesson के लेखत Alphonse Daudet हैं , को कि वर्ष 1870 के बारे में बताता है जब बिस्मार्क के तहत प्रशिया की सेना ने फ्रांस पर हमला किया और कब्जा कर लिया। नए प्रशिया के शासकों ने अलसैस और लोरेन के स्कूलों में फ्रेंच भाषा का शिक्षण बंद कर दिया और फ्रांसीसी शिक्षकों को जाने के लिए कहा गया।
The Last Lesson in Hindi
अब हम NCERT Class 12 English Flamingo Prose Chapter 1 अर्थात The Last Lesson Para Wise Explanation करना शुरु करते हैं |
The Last Lesson in Hindi – PARA – 1
I started for…………………………………………off to school.
उस सुबह मैं स्कूल के लिए बहुत देरी से रवाना हुआ और मुझे डॉट पड़ने का बहुत अधिक डर था,
विशेष रूप से इसलिए क्योंकि एम. हॅमल कह चुके थे कि वे हमसे Participles के विषय में प्रश्न पूछेंगे तथा मुझे इनके बारे में आरंभिक ज्ञान भी नहीं था। एक क्षण के लिए मैन भाग जाने और घर से बाहर दिन बिताने के बारे में सोचा। दिन बहुत गर्म एवं चमकीला था। जंगल के छोर पर पक्षी चहचहा रहे थे और आरा मशीन के पीछे खुले खेतों में सैनिक अभ्यास कर रहे थे। यह सब Participles के नियमों से कहीं ज्यादा मनमोहक था किन्तु मुझमें विरोध करने की शक्ति थी और मैं तेजी से स्कूल के लिए चल पड़ा।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 2
When I passed……………………………………………plenty of time!”
जब मैं सभागार के पास से गुजरा तो सूचनापट्ट के सामने भीड़ थी। पिछले दो वर्ष से हमारे सारे बुरे समाचार यहीं से आए थे हारे हुए युद्धों के समाचार, सेना में भर्ती के कानूनी आदेश संबंधी समाचार, सेना अधिकारी के आदेशों से संबंधी समाचार और मैंने बिना रुके अपने मन ही मन में सोचा “अब क्या बात हो सकती है?” फिर जैसे ही में अपनी पूरी निजी के साथ चला, वाक्टर नामक लोहार, जो वहाँ अपने प्रशिक्षु के साथ समाचार पढ़ रहा था, ने पीछे से पुकार कर मुझसे कहा “इतनी जल्दी मत कर लड़के, स्कूल पहुँचने के लिए तुम्हारे पास हर सारा समय है।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 3
I thought…………………………………..I was.
मुझे लगा वह मेरा मजाक उड़ा रहा था और मैं बुरी तरह हाँफता हुआ एम. हमल के छोटे बगीचे में पहुँचा। आमतौर पर जब स्कूल शुरू होता था, अफरा-तफरी या शोरगुल होता था जिसे बाहर गली में सुना जा सकता था, मेजों का खोला जाना और बन्द किया जाना बेहतर समझने के लिए कानों पर हाथ रखवार समवेत स्वर में पाठों का जोर-जोर से दोहराना और अध्यापक के विशाल पैमाने का मेज से टकराना परंतु अब सब कुछ इतना शांत था। मुझे भरोसा था कि हो हल्ला के बीच मैं बिना किसी को दिखाई पड़े अपनी मेज पर पहुँच जाऊँगा परन्तु उस दिन हर चीज को सचमुच रविवार की सुबह जितना ही शांत होना था। खिड़की में से मैंने अपने सहपाठियों को देखा, वे पहले ही अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे और एम. हैमल अपने भयानक डण्डे को बगल में दबाए इधर से उधर घूम रहे थे। मुझे दरवाजा खोलना पड़ा और सबके सामने अन्दर जाना पड़ा आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं कितना शर्मिन्दा था और कितना डरा हुआ था।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 4
But nothing……………………………………….across the pages.
परंतु कुछ भी ऐसा नहीं हुआ, एम. हैमल ने मुझे देखा और बड़ी दयालुतापूर्वक कहा, “नन्हें फ्रेंज जल्दी से अपनी जगह पर जाओ। हम तुम्हारे बिना ही शुरू करने वाले थे।’ मैं बेंच से कूद कर अपनी डेस्क पर बैठ गया। तब तक मैंने यह नहीं देखा हमारे अध्यापक ने सुंदर हरा कोट, अपनी झालरदार शर्ट और काली छोटी सिल्क की टोपी पहन रखी थी जिस पर कशीदाकारी की गई थी, और जिन्हें वे निरीक्षण तथा पुरस्कार वितरण के दिनों के अलावा कभी नहीं पहनते थे, इसके अलावा पूरा विद्यालय बहुत ही विचित्र तथा गंभीर लग रहा था। किन्तु जिस चीज ने मुझे सर्वाधिक चकित किया वह यह थी कि सदा खाली रहने वाली पीछे की बैंचों पर गाँव के लोग
हमारे तरह ही चुपचाप बैठे थे अपना तिकोना टोप पहने बूढ़ा, भूतपूर्व मेयर, भूतपूर्व पोस्टमास्टर और इनके अलावा कई अन्य। सभी दुःखी दिखाई दे रहे थे और बूढ़ा व्यक्ति एक पुरानी बालपोथी लाया था जिसके किनारे अंगूठों से पेज उलटने के कारण गन्दे हो रहे थे और उसने इसे अपने घुटनों तक खुला रखा था और उसका बड़ा चश्मा पृष्ठों पर पड़ा था।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 5
While I was……………………………cranky he was.
जबकि मैं इस सब पर विचार कर ही रहा था. एम. हैमल अपनी कुर्सी पर बैठ गए, और उसी गंभीर और विनम्र अंदाज में जिसका प्रयोग उन्होंने मेरे लिए किया था, बोले, मेरे बच्चों, यह अंतिम पाठ हैं जो मैं तुम्हें पढ़ाऊँगा।’ अल्लास और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन पढ़ाए जाने का आदेश बर्लिन से आ गया है। नए अध्यापक कल आ जाएँगे। यह आपका फ्रेंच भाषा का अंतिम पाठ है। मैं चाहता हूँ आप बहुत एकाग्र रहें।
ये शब्द मेरे लिए बिजली की कड़कड़ाहट की तरह थे। हाय! अभागे लोग, सभागार पर उन्होंने यही लगा दिया था। फ्रेंच भाषा का मेरा अंतिम पाठ! अरे मैं मुश्किल से ही लिखना जान पाया था, अब मैं आगे कभी नहीं सीख पाऊँगा। वहीं और उसी समय मुझे रुक जाना होगा! हाय! मैं अपने पाठ याद ना करके, पक्षियों के अण्डे ढूँढने और सार पर फिसलने पर कितना दुःखी हो रहा था। मेरी पुस्तकें जो थोड़ी देर पहले ले जाने में भारी और बड़ी समस्या लग रही थी, मेरी व्याकरण और संतों का इतिहास अब पुराने मित्र जैसी लग रही थी जिन्हें में त्याग नहीं सकता था और एम. हमल के बारे में भी इस विचार ने कि वे जा रहे थे, कि मैं अब उनसे फिर कभी नहीं मिल सकूँगा, मुझे उनके डण्डे के बारे में और वे कितने बदमिजाज थे, इस बारे में सब कुछ भुला दिया।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 6
Poor man! It…………………………………………no more.
बेचारा आदमी (यहाँ बेचारे गुरुजी) इसी अन्तिम पाठ के सम्मान में उन्होंने रविवारीय सुन्दर कपड़े पहने थे और अब मैं समझ गया कि गाँव के बुजुर्ग लोग कमरे में पीछे क्यों बैठे थे। इसलिए कि उन्हें भी दुःख था कि वे और ज्यादा स्कूल नहीं गये थे। हमारे अध्यापक की चालीस वर्ष की निष्ठापूर्ण सेवा के लिए धन्यवाद देने और जो देश अब उनका नहीं था उस देश को सम्मान प्रदर्शित करने का यह उनका अपना तरीका था।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 7
While I was……………………………..look up.
जब मैं इन्हीं सब बातों के बारे में सोच रहा था तब मैंने अपने नाम को पुकारा जाने हुए सुना। अब बोलने की मेरी बारी थी। बिना किसी गलती के Participle के भयानक नियम को पूरा-पूरा जोर-जोर से और स्पष्ट सुनाने में समर्थ होने के लिए मैं क्या कुछ नहीं करने को तैयार था ? (अर्थात् मैं Participle के कठिन नियमों को जोर से और स्पष्ट रूप से बिना किसी त्रुटि के पढ़ने को बहुत इच्छुक था)। किन्तु मैं पहले शब्दों पर ही उलझ गया और मेज पकड़कर खड़ा रह गया, मेरा दिल धड़क रहा था और मुझमें ऊपर की ओर देखने की हिम्मत नहीं थी।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 8
I heard…………………………..a holiday?”
मैंने एम. हैमल को मुझसे कहते हुए सुना- मैं तुम्हें डाँटूगा नहीं, फ्रेंज, तुम्हें अवश्य ही काफी बुरा महसूस हो रहा होगा। देखो ऐसा है। प्रतिदिन हमने स्वयं से कहा है “अरे! मेरे पास काफी समय है। मैं इसे कल सीख लूँगा। और अब तुम देख रहे हो कि हम कहाँ गए हैं। हाय अल्सास के साथ यही बड़ी परेशानी है, वह सीखने को कल के लिए टाल देती है। अब बाहर के लोगों के पास आपसे कहने का अधिकार होगा, ऐसा कैसे है, तुम फ्रांसीसी होने का नाटक भी करते हो और फिर भी तुम न तो अपनी भाषा लिख सकते और न ही बोल सकते हो?” किंतु नन्हें फ्रेंज, तुम्हीं सबसे बुरे नहीं हो। हम सब के पास स्वयं को दोष देने के पर्याप्त कारण हैं। “तुम्हारे माता-पिता तुम्हें शिक्षा दिलवाने के प्रति पर्याप्त उत्सुक नहीं थे। वे तुम्हें किसी फार्म या आरा मशीन पर काम पर लगाना ज्यादा पसंद करते थे ताकि थोड़ा-सा अधिक धन मिल सके और में? मैं भी दोषी हूँ। क्या मैंने तुम्हे पाठ सिखाने के बजाय अक्सर अपने कूलों में पानी देने के लिए नहीं भेजा है और जब मैं मछली पकड़ने जाना चाहता था तो क्या मैंने तुम्हारी छुट्टी नहीं की?”
The Last Lesson in Hindi – PARA – 9
Then, from……………………………………one strock.
फिर एक के बाद दूसरी बात करते हुए एम. हैमल फ्रांसीसी भाषा के बारे में बात करते रहे, यह कहते हुए कि यह संसार की सबसे सुंदर भाषा है— सर्वाधिक स्पष्ट, सर्वाधिक तर्कसंगत, और यह कि इसे हमें अपने बीच सुरक्षित रखना है और उसे कभी भी नहीं भूलना है क्योंकि जब किसी देश के लोग गुलाम होते हैं तो जब तक ने अपनी भाषा से मजबूती से बंधे रहते हैं तो यह ऐसा ही है मानो उनकी जेल की चाबी उनके पास है। फिर उन्होंने व्याकरण की एक किताब खोली और हमारा पाठ हमें पढ़कर सुनाया। मैं यह देखकर चकित था कि मुझे यह कितनी अच्छी तरह समझ आ रहा था। उन्होंने जो कुछ कहा वह बहुत-बहुत सरल लगा! मैं यह भी सोचता हूँ कि मैंने कभी इनने ध्यान से नहीं सुना था, और उन्होंने हर चीज को धैर्यपूर्वक कभी इतना अधिक स्पष्ट नहीं किया था ऐसा लग रहा था कि बेचारा जाने से पहले वह जो कुछ जानता था उस सबको हमें दे देना चाहता था और इस सारी जानकारी को एक ही बार में हमारी दिमाग में डाल देना चाहता था।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 10
After the grammar………………………………….the pigeons?”
व्याकरण के बाद हमारा लेखन का पाठ हुआ। उस दिन एम. हैनल के पास हमारे लिए नई कापियाँ भी जिन पर सुंदर वक्राकार शैली के हस्तलेख में लिखा गया था- – फ्रांस, अल्सास, फ्रांस, अल्सास के ऐसी लग रही थीं जैसे कि विद्यालय के उस कक्ष में सब ओर छोटे-छोटे झण्डे लहरा रहे हो जो हमारी मेजों के ऊपर छड़ों से लटका दिए हों। काश आप सभी देखते कि सभी किस तरह अपने काम में जुट गए. और सब कुछ कितना शांत था। एकमात्र ध्वनि कागज पर पेनों की रगड़ की आ रही थी। एक बार कुछ भृंग (भँवरा) उड़कर अंदर आ गए परंतु किसी ने उन पर ध्यान भी नहीं दिया, सबसे छोटे बच्चों ने भी ध्यान नहीं दिया जो पूरे समय मछली पकड़ने के काँटों का चित्र बनाने में लीन थे, मानो वह भी फ्रांसीसी भाषा थी। छत पर कबूतर बहुत धीरे – धीरे गुटरगूं कर रहे थे और मैंने मन में सोचा, “क्या वे इन्हें भी जर्मन भाषा में गाने के लिए मजबूर करेंगे, “कबूतरों को भी ?”
The Last Lesson in Hindi – PARA – 11
Whenever I…………………………………next day.
जब कभी मैंने लिखते हुए ऊपर देखा तो मैंने एम. हमल को अपनी कुर्सी पर स्थिर बैठे हुए देखा, वे कभी किसी चीज को तो कभी किसी और चीज को घूर रहे थे, मानो वे अपने मस्तिष्क में उस छोटे स्कूल कक्ष की प्रत्येक वस्तु को ठीक उसी तरह अंकित कर लेना चाहते थे जैसा कि वे दिख रहीं थीं। जरा सोचो! चालीस वर्ष से वे इसी स्थान पर थे, उनका बगीचा, उनकी खिड़की के बाहर था और उनकी कक्षा उनके सामने बिल्कुल ऐसे ही! केवल मेज और कुर्सियाँ घिस घिन कर चिकनी हो गयी थीं बगीचे में अखरोट के पेड़ अपेक्षाकृत लम्बे हो गये थे तथा वह होपवाइन (एक प्रकार की बेल) जिसे उन्होंने स्वयं अपने हाथों से लगाया था, वह खिड़की से लिपटते हुए छत तक पहुँच गई थी। इस सबको छोड़ने में और ऊपर छत पर समान को अपने संदूकों में पैकिंग करते हुए अपनी बहन के चलने की आवाज सुनकर इस बेचारे (अध्यापक) का दिल किस तरह टूट रहा होगा ! क्योंकि अगले दिन ही उन्हें देश छोड़कर जाना था।
The Last Lesson in Hindi – PARA – 12
But he had…………………………………..you may go.”
किन्तु उनमें हर पाठ को बिल्कुल अन्त तक सुनने का साहस था। लेखन के पश्चात, हमारा इतिहास का पाठ हुआ और फिर छोटे बच्चों ने जोर-जोर से अपने वा, वे, वी, बो, बृ बोले। कमरे के पिछले छोर पर बूढ़े Hauser ने अपना चश्मा पहन लिया था, अपनी पुस्तक को दोनों हाथों में पकड़कर वह उनके साथ बा, बे, बी आदि बोल रहा था। आप देख सकते थे कि वह भी रो रहा था, भावुकतावश उसकी आवाज काँप रही थी और उसे सुनना इतना हास्यास्पद था कि हम सब हँसना और रोना चाहते थे ओह, यह अन्तिम पाठ मुझे कितनी अच्छी तरह याद है।
अचानक चर्च की घड़ी ने बारह बजाये और फिर Angelus नामक प्रार्थना की घण्टी बजी। उसी समय डिल से लौटकर आते हुए प्रशिया के सैनिकों की तुरहियाँ हमारी खिड़कियाँ के नीचे बजती सुनाई दी। एम. हैमल अपनी कुर्सी से खड़े हुए, बहुत पीले पड़े हुए थे। मैंने उन्हें कभी इतना आत्मविश्वासी नहीं देखा था ।
“मित्रों” उन्होंने कहा “मैं-मैं” किसी बात ने उनका गला अवरुद्ध कर दिया। वे अपनी बात जारी न रख सके।
फिर वे श्यामपट्ट की ओर मुड़े, चॉक का एक टुकड़ा उठाया और अपनी पूरी ताकत से उन्होंने जितने बड़े अक्षरों में वे लिख सकते थे लिखा- फ्रान्स जिन्दाबाद।” फिर से रूक गये और अपना सिर दीवार के सहारे झुका लिया और बिना कोई शब्द बोले उन्होंने अपने हाथ से हमारी तरफ इशारा किया
“स्कूल की छुट्टी हो गई आप जा सकते हैं।”
The Last Lesson से आपने क्या सीखा?
आपने The Last Lesson से क्या सीखा? इसका मनन जरूर ताकि आपको अच्छे से यह चैप्टर याद हो जाए |
अब आप लोग Up Board Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 1 जो की Up Board Class 12 English Syllabus के Flamingo Prose का पहला Lesson था; जिसका Hindi Explanation करना आप ने सिख लिया हैं | इसी के साथ आप The Last Lesson के About The Author और About the Lesson को पढ़ लिया हैं |
मैंने पूरी कोशिश की है कि आपको The Last Lesson का व्याख्या अच्छे से समझ में आ जाए ताकि आपको इंटरनेट पर भटकने की जरूरत ना पड़े और आपका कीमती समय भी बचे |