UP Board Class 12 Sociology Model Paper 2025

यूपी बोर्ड कक्षा 12 समाजशास्त्र मॉडल पेपर 2025

अनुक्रमांक …………………………………                             मुद्रित पृष्ठों की संख्या : 5

समाजशास्त्र

समय : तीन घंटे 15 मिनट ]                                                             [ पूर्णांक : 100

नोट : प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं ।

निर्देश :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं । प्रत्येक प्रश्न के लिए निर्धारित अंक उनके सामने दिए गए हैं ।
  2. प्रश्न संख्या । से 10 तक बहु-विकल्पीय प्रश्न हैं । प्रश्न संख्या 11 से 20 तक अति लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 25 शब्दों में देना है । प्रश्न संख्या 21 से 26 तक लघु-उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 50 शब्दों में देना है । प्रश्न संख्या 27 से 29 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं, जिनका प्रत्येक उत्तर लगभग 150 शब्दों में देना है ।

खण्ड – ‘क’

(बहुविकल्पीय प्रश्न)

निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें से केवल एक उत्तर सही है । सही उत्तर चुनकर उसे अपने उत्तर-पुस्तिका में लिखिए ।

  1. ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना कब हुई ? 1

(a) 1825                                                                (b) 1826

(c) 1827                                                                (d) 1828

  1. ‘प्रभु जाति’ (प्रबल जाति) की अवधारणा किसने दी है? 1

(a) एस.सी. दुबे                                                        (b) एम.एन. श्रीनिवास

(c) जी.एस. घुर्ये                                                        (d) योगेन्द्र सिंह

  1. निम्नलिखित में से कौन भारत में राष्ट्रीय एकीकरण की प्रमुख बाधा है? 1

(a) जातिवाद                                                           (b) क्षेत्रवाद

(c) भाषावाद                                                            (d) उपर्युक्त सभी

  1. भारत में सर्वप्रथम मजदूर संघ की स्थापना कब हुई थी? 1

(a) मार्च 1917                                                         (b) अप्रैल 1918

(c) मई 1919                                                           (d) जून 1920

  1. निम्नलिखित में से कौन-सा ‘परिवार’ का प्रकार है? 1

(a) मूल परिवार                                                        (b) संयुक्त परिवार

(c) (a) और (b) दोनों                                              (d) इनमें से कोई नहीं

  1. निम्नलिखित में से कौन-सी ‘ग्रामीण समाज’ की विशेषता है? 1

(a) कृषि                                                                 (b) कम जनसंख्या

(c) प्राथमिक सम्बन्ध                                                 (d) उपर्युक्त सभी

  1. ‘बाजार’ क्या है? 1

(a) एक संस्था                                                          (b) एक समुदाय

(c) एक समिति                                                       (d) एक समूह

  1. निम्नलिखित में से कौन-सी जनजातीय समाज की विशेषता नहीं है? 1

(a) सामान्य भाषा                                                      (b) निर्धनता

(c) विज्ञान और प्रौद्योगिकी                                      (d) एक सामान्य नाम

  1. भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार नगरीकरण कितना है? 1

(a) 12.5%                                                             (b) 22.3%

(c) 28.9%                                                              (d) 31.2%

 

  1. संविधान का कौन-सा संशोधन पंचायती राज व्यवस्था से सम्बन्धित है? 1

(a) 71वॉ                                                                (b) 72 वॉ

(c) 73वाँ                                                                (d) 74वाँ

खण्ड – ‘ख’

(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

  1. नगरीय समुदाय को परिभाषित कीजिए । 3

उत्तरनगरीय समुदाय से तात्पर्य उस समुदाय से है जहाँ जनसंख्या ग्रामीण समुदाय से अधिक हो, लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हो, वहाँ की संस्कृति एवं सभ्यता में आधुनिकता हो ।

  1. उपनिवेशवाद से क्या तात्पर्य है? 3

उत्तरउपनिवेशवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर अशतः या पूर्णतः राजनीतिक नियंत्रण प्राप्त कर उसका आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दोहन करता है ।

  1. क्षेत्रवाद की तीन विशेषताएँ बताइए । 3

उत्तरक्षेत्रवाद ऐसी स्थिति है जिसमें किसी विशिष्ट क्षेत्र या क्षेत्र की अधिकार या प्रभाव को प्रोतसाहित किया जाता है । इसकी तीन विशषताएँ है-

(1) एकात्मक राज्यों के भीतर क्षेत्रीय स्वायत्तता की मांग ।

(2) क्षेत्रीय आधार पर केन्द्रीय राज्य का संगठन ।

(3) राजनीतिक विकेन्द्रीकरण और क्षेत्रीय स्वायतता ।

  1. सामाजिक बहिष्कार को स्पष्ट कीजिए । 3

उत्तरयदि कोई व्यक्ति या समूह को किसी भी सामाजिक या धार्मिक रीति-रिवाज या समारोह को देखने या रोकने का प्रयास करता है तो इसे सामाजिक बहिष्कार कहा जाता है ।

  1. सामाजिक संस्थाओं की तीन विशेषताएँ बताइए । 3

उत्तर. सामाजिक संस्थाओं की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • सामाजिक संस्थाएँ प्रकृति में अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी ।
  • संस्थानों की एक संरचित और संगनित मंरचना होती हैं ।
  • सामाजिक संस्थाएँ प्रकृति में अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी होती हैं ।
  • संस्थानों की एक संरचित और संगठित संरचना होती हैं ।
  • इनका विकास प्रायः अनियोजित होता है और समय के साथ विकसित होता है ।
  1. ‘संस्कृतिकरण’ से आप क्या समझते है? 3

उत्तरसंस्कृतिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निचली जातियाँ जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति बढ़ाने के लिए उच्च जातियों के सांस्कृतिक तरिके को अपनाती है । संस्कृतिकरण निचली जाति की सामाजिक गतिशीलता में सहायक है ।

  1. ग्रामीण-नगरीय सांतत्य से क्या आशय है? 3

उत्तरग्रामीण-नगरीय सांतत्य ग्रामीण और नगरीय प्रणालियों के सामाजिक संबंधों की परस्पर विरोधी प्रकृति का एक रैखिक प्रतिनिधित्व हैं यह विभिन्न प्रकार के समुदायों को वर्गीकृत करने और उनके परिवर्तन को समझने की एक अवधारणा है ।

  1. प्रेक्षण, पद्धति के प्रमुख उद्देश्य बताइए? 3

उत्तर : प्रेक्षण पद्धति सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान एवं सांख्यकीय आदि के क्षेत्र में उपयोग में लायी जाने वाली विधि है इसका उद्देश्य एक नमूने का अध्ययन करके उस पूरी आबादी के विषय में निष्कर्ष निकालना है ।

  1. कानून को परिभाषित कीजिए । 3

उत्तरविभिन्न विद्वानों ने कानून को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है –

  • अरस्तु का मानना है कि “यह मानव की प्रकृति में निहित है और मानव प्रकृति से प्राप्त किया जा सकता है ।
  • ए. वी. डायसी के शब्दों में “कानून जनमत का प्रतिबिम्ब है ।”

 

  1. अल्संख्यक वर्ग से आप क्या समझाते हैं? 3

उत्तरअल्पसंख्यक वर्ग से तात्पर्य, एक सांस्कृतिक, जातीय या नस्लीय रूप से अलग समूह जो सह-आस्तित्व में है लेकिन एक अधिक प्रभावशाली समूह के अधीन है ।

(लघु-उत्तरीय प्रश्न)

  1. साक्षात्कार के गुणों का वर्णन कीजिए । 6

उत्तरसामान्य अर्थ में साक्षात्कार से तात्पर्य एक व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति से वार्तालाप के द्वारा उसकी योग्यता, ज्ञान आदि की जानकारी प्राप्त करना है ।

इसके निम्नलिखित गुण है –

साक्षात्कार के गुण –

  • इस पद्धति का सबसे बड़ा महत्व इसकी मनोवैज्ञानिक उपयोगिता है । व्यक्ति के विचार, भावनाएँ आदि की जानकारी इस विधि से किया जा सकता है ।
  • इस विधि द्वारा व्यक्ति के गोपनीय एवं आंतरिक बातों की जानकारी की जा सकती है ।
  • यह लचीली विधि है जिसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है ।
  1. सामाजिक आंदोलन के कारणों की विवेचना कीजिए । 6

उत्तर – सामाजिक आन्दोलन के कारण – विभिन्न समाजशास्त्रीयों ने सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न कारकों का उल्लेख किया है । जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण कारक है –

  • आन्दोलन का प्रारम्भ शिक्षित वर्ग द्वारा ही किया जाता हैं आन्दोलन की गति उन्हीं स्थानों पर तीव्र होती है जिन स्थानों पर शिक्षित समाज अधिक होता है ।
  • सामाजिक वर्गों में असंतोष भी सामाजिक आन्दोलन का कारण होता है ।
  • जब किसी समाज में आर्थिक या सामाजिक असन्तुलन पैदा होता है तब आन्दोलन की पृष्ठभूमि बनती है ।
  1. नातेदारी को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रमुख श्रेणियों का वर्णन कीजिए । 2+4

उत्तरनातेदारी का शाब्दिक अर्थ सम्बन्ध होता है। रेडक्लिफ ब्राउन के अनुसार “नातेदारी सामाजिक उद्देश्यों के लिए स्वीकृत वंश सम्बन्ध है जो कि सामाजिक सम्बन्धों परम्परात्मक सम्बन्धो का आधार है ।

  1. दिव्यांगो की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए । 6

उत्तरदिव्यांगता मस्तिष्क या शरीर की ऐसी दशा या स्थिति है जो व्यक्ति के कार्य क्षमता को प्रभावित करती है । दिव्यांग व्यक्तियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में अक्षमता, कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ।

  • समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के विद्यायी प्रयासों के बावजूद शैक्षणिक संस्थाओं में बाधाएं बनी हुई है ।
  • भेदभाव, दुर्गम कार्यस्थल और आवास की कमी अक्सर उनके रोजगार के अवसरों को सीमित कर देती हैं
  • दिव्यांगता के अतिरिक्त वित्तीय तनाव रहता है ।
  1. भारत में किसानों की आत्महत्या के कारणों का वर्णन कीजिए । 6

उत्तरभारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ 70% अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि में कार्यरत है और किसानों की आत्महत्या एक बड़ी चिंता का विषय है । 1997 से 2005 के बीच भारत में हर 32 मिनट में एक किसान ने आत्महत्या की । किसानों के आत्महत्या के प्रमुख कारणों में प्राकृतिक आपदाएँ, बढ़ती कृषि लागत, निरक्षरता, परंपर ओर संस्कृति किसानो को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करती है ।

  1. भारत में उदारीकरण के परिणामों का उल्लेख कीजिए ? 6

उत्तर –  भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ वर्ष 1991 से माना जाता है । उदारीकरण आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम था । उदारीकरण के बाद उद्योगों की स्थिति सुधरी हैं औद्योगिक उत्पादन में विविधता आई है, भारतीय औद्योगिक क्षेत्र को विदेशों से उच्च तकनीक प्राप्त होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई।  सबसे ज्यादा सकारात्मक प्रभाव सेवा क्षेत्र में दिखाई देता है ।

 

परन्तु उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न की है – अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घट रहा है । छोटे उद्योग बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ का सामना करने में विफल हो रहे हैं, आदि ।

(दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न)

  1. ‘हरित क्रांति’ से आप क्या समझते हैं? इसके सामाजिक परिणामों की विवेचना कीजिए । 8

उत्तरभारत में हरित क्रांति उस अवधि को संदर्भित करती है जब भारतीय कृषि अधिक उपज देने वाले बीज के किस्मों, ट्रैक्टर,सिंचाई सुविधाओं, कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग जैसे आधुनिक तरीकों एवं प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण एक औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तित हो गई थी ।

हरित क्रांति के सामाजिक परिणाम –

  • हरित क्रांति की वजह से भारत के ग्रामीण समाज में व्यापक स्तर पर बदलाव आया । अब ग्रामीण समाज बाजारोन्मुख एवं गतिशील हो गया ।
  • किसानों की आय बढ़ने से उनके सामाजिक एवं शैक्षिक स्तर का विकास हुआ ।
  • इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में स्वकेन्द्रण की भावना का विकास हुआ । जिससे पारंपरिक संयुक्त परिवारों के स्थान पर एकल परिवार की व्यवस्था प्रचलन में आई ।
  • हरित क्रांति के कारण ग्रामीण सामाजिक तना-बाना में बदलाव आया । पारंपरिक रूप से चली आ रही प्रथाओं जैसे जजमानी प्रथा, वस्तु-विनिमय आदि समाप्त हो गये ।
  • हरित क्रांति के विषय मे यह कहना अनुचित नहीं होगा कि यह छोटे और सिमांत किसानों की तुलना में बड़े किसानों के लिए अधिक लाभप्रद रही । इसका परिणाम यह हुआ कि धनी और निर्धन किसानों के बीच असमानता बढ़ती गई ।

अथवा

जाति को परिभाषित कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।

 

  1. लोकतंत्र को परिभाषित कीजिए । लोकतंत्र में दबाव समूहों की भूमिका का वर्णन कीजिए । 8

उत्तरलोकतंत्र सरकार का एक राजनीतिक रूप है जिसमें शासन शक्ति लोगों से, सर्वसम्मति, प्रत्यक्ष जनमत संग्रह द्वारा या लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधयों द्वारा प्राप्त की जाती है।

विद्वानों द्वारा निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया गया है।

ब्रायसी – प्रजातंत्र सरकार वह रूप है जिसमें किसी राज्य की शासन शक्ति कानूनी रूप से किसी विशेष वर्ग में नहीं बल्कि पूरे समुदाय के सदस्यों में निहित होती है।

प्रो० सिले के अनुसार- प्रजातंत्र एक ऐसी सरकार है जिसमें सबका हिस्सा होता है।

इस प्रकार लोकतंत्र सहमति पर आधारित सरकार का एक रूप है। जिसमें जनता का, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा सरकार का निर्माण किया जाता है।

लोकतंत्र मे दबाव समूह की भूमिका-

  • दबाव समूह ऐसे संगठन है जो औपचारिक रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में भाग नही लेते हैं, न ही अपने उम्मीदवार खड़े करते है। इसके बजाय वे अपने सदस्यों के हितों की प्राप्ति के लिए राजनीति को प्रभावित करते हैं।
  • दबाव समूह आम जनता एवं सरकार के बीच एक कड़ी एवं संचार का साधन के रुप में कार्य करते हैं तथा लोकतंत्र में व्यापक भागीदारी सम्भव बनाते हैं।
  • दबाव समूह सामाजिक एकता के प्रतीक हैं क्योंकि ये व्यक्तियों के सामान्य हितों की अभिव्यक्ति के लिए जन साधारण और निर्णय लेने वालों के बीच अन्तर को कम करते हैं।

अथवा

भारत में सामाजिक परिवर्तन के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए ।

  1. सामाजिक आंदोलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकारों की विवेचना कीजिए । 8

उत्तरसामाजिक आन्दोलन एक प्रकार का सामाजिक क्रिया है जिसमें व्यक्तियों या संगठनों के विशाल अनौपचारिक समूह शामिल होते हैं, जिनका ध्येय किसी विशिष्ट सामाजिक मुद्दे पर केन्द्रित होता है ।

सामाजिक आन्दोलन कई प्रकार के होते है। उन्हें निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है –

  • प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरण सामाजिक आन्दोलन
  • सुधारवादी सामाजिक आन्दोलन
  • क्रांतिकारी सामाजिक आन्दोलन
  • प्रतिदानात्मक सामाजिक आन्दोलन का लक्ष्य अपने व्यक्तिगत सदस्यों की व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिवर्तन लाना होता है। उदाहरण स्वरूप, केरल के इजहावा समुदाय के लोगों ने नरायण गुरु के नेतृत्व में अपनी सामाजिक प्रथाओं को बदला।
  • सुधारवादी सामाजिक आन्दोलन वर्तमान सामाजिक तथा राजनीतिक विन्यास को धीमे, प्रगतिशील चरणों द्वारा बदलने का प्रयास करता है । उदाहरणस्वरूप सूचना का अधिकार एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना के नेतृत्व में आन्दोलन।
  • क्रांतिकारी सामाजिक आन्दोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपान्तरण का प्रयास करते हैं, प्राय; राजसत्ता पर अधिकार के द्वारा । उदाहरणस्वरूप रुस की बोलोशेविक क्रांति जिसने जार को अपदस्य करके साम्यवादी राज्य की स्थापना की ।

अथवा

जनजातीय आंदोलन से आप क्या समझते हैं? सरकार द्वारा जनजातियों के हित में किए गए प्रयत्नों का उल्लेख कीजिए ।

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