यूपी बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान विस्तृत उत्तरीय प्रश्न | Up Board Class 12th Chemistry Important Question | 12th Chemistry Important Question PDF | Up Board 12th Chemistry Important Question PDF
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
प्रश्न 1. कोलॉइडी विलयन क्या है? निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
i) ब्राउनी गति (2012,2016,2018,2020)
ii) टिण्डल प्रभाव (2011,2012,2014,2016)
iii) वैद्युत कण संचलन (2016,2017,2020,2018)
iv) स्कन्दन (2020,2016,2018)
vi) अपोहन (2018,2017)
अथवा – टिण्डल प्रभाव क्या है? इसका कारण तथा इसको प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक लिखिए।
(2019 FN)
अथवा – पेप्टीकरण और स्कन्दन के अन्तर को उदाहरण देकर समझाइए। (2012)
अथवा – कोलॉइडी विलयन की व्याख्या कीजिए।
अथवा – वैद्युत कण संचलन को समझाइए। (2017 RM)
उत्तर – कोलॉइडी विलयन- वे पदार्थ, जो जन्तु झिल्लियों से विसरित नहीं होते हैं, कोलॉइडी पदार्थ कहलाते हैं। ऐसे पदार्थों के विलयन को कोलॉइडी विलयन कहते हैं। कोलॉइडी विलयन के निम्नलिखित गुण होते हैं—
i) ब्राउनी गति क्या हैं– परिक्षेपित प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम से बना कोलॉइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है। कोलॉइडी विलयन का अति सूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करने पर ज्ञात होता है | कि कोलॉइडी विलयन में कोलॉइडी कण zig-zag तरीके से सभी दिशाओं में गति करते रहते हैं। कोलॉइडी कणों का तीव्र गति से इस प्रकार गति करना ब्राउनी गति कहलाता है। वीयर के अनुसार, यह गति कोलॉइडी कणों के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के साथ टकराने से उत्पन्न होती है।
ii) टिण्डल प्रभाव क्या हैं- जिस प्रकार अँधेरे कमरे में प्रकाश की किरण में वायु से धूल के कण चमकते हुए दिखाई पड़ते हैं, उसी प्रकार लेन्सों से केन्द्रित प्रकाश को कोलॉइडी विलयन में डालकर, समकोण दिशा में रखे एक सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोलॉइडी कण अँधेरे में घूमते हुए दिखाई देते हैं। इस घटना को टिण्डल प्रभाव कहते हैं।
* कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण टिण्डल प्रभाव होता है। कोलॉइडी कणों का आकार प्रकाश की तरंगदैर्घ्य से कम होता है।
iii) वैद्युत कण संचलन क्या हैं–कोलॉइडी कणों पर धनात्मक या ऋणात्मक विद्युत आवेश होता है, जिससे ये कण विद्युत प्रभाव क्षेत्र में विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड की ओर चलने लगते हैं। वैद्युत क्षेत्र में कोलॉइडी कणों के इलेक्ट्रोड अभिगमन की घटना को वैद्युत कण-संचलन कहते हैं। कोलॉइडी कणों की कैथोड की ओर की गति को धन कण-संचलन और ऐनोड की ओर की गति को ऋण कण-संचलन कहते हैं, जैसे—फेरिक हाइड्रॉक्साइड सॉल के कोलॉइडी कण धनावेशित होते हैं तथा ये कैथोड की ओर गति करते हैं।
iv) स्कन्दन– कोलॉइडी कणों पर समान विद्युत आवेश होने के कारण वे एक-दूसरे से दूर रहते हैं। अत: किसी कोलॉइडी विलयन को स्थायी बनाने के लिए इसमें उचित विद्युत अपघट्य की अल्प मात्रा मिलायी जाती है, परन्तु इसकी अधिक मात्रा को मिलाने पर उससे प्राप्त विपरीत आवेश वाले आयन कोलॉइडी कणों को उदासीन कर देते हैं। ये उदासीन कण ब्राउनी गति के कारण एक-दूसरे से टकराकर जुड़कर बड़े-बड़े कण बनाने लगते हैं, जो अवक्षेप के रूप में नीचे बैठते जाते हैं। जिसे स्कन्दन कहते है।
उदाहरणार्थ – जब As, S कोलॉइडी विलयन BaCl विलयन आधिक्य में मिलाते हैं, तो सॉल स्कन्दित (अवक्षेपित) हो जाता है।
v) पेप्टीकरण क्या हैं – किसी कोलॉइडी विलयन के अवक्षेपण को स्कन्दन कहते हैं। पेप्टीकरण, स्कन्दन का विपरीत प्रक्रम क्रिया है। इस प्रक्रम द्वारा किसी ताजे
अवक्षेप को पुनः कोलॉइडी अवस्था में बदल दिया जाता है।
उदाहरणार्थ – Fe (OH) 3 के ताजे अवक्षेप में कुछ मात्रा तनु FaCl 3, विलयन को मिलाने पर वह पुनः कोलॉइडी अवस्था में आ जाता है।
वे पदार्थ जो स्कन्दित (अवक्षेपित) सॉल को पुनः परिक्षेपित करके कोलॉइडी विलयन में बदल देते हैं, पेप्टीकारक कहलाते हैं।
vi) अपोहन क्या हैं – यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि घुलित पदार्थों के अणु एवं आयन चर्म पत्र झिल्ली में से सरलतापूर्वक निकल जाते हैं, जबकि कोलॉइडी कण उसमें से नहीं निकलते या कठिनाई से निकलते हैं।
चर्म पत्र झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन में घुलित पदार्थों को पृथक् करने की विधि को अपोहन कहते हैं।