जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं इनकी प्रमुख कृतियां – जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखें?, यूपी बोर्ड जीवन परिचय 

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं इनकी प्रमुख कृतियां – जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखें?, यूपी बोर्ड जीवन परिचय 

इस पोस्ट में मैंने यूपी बोर्ड परीक्षा में पूछे जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण जीवन परिचय को बताया है इसमें मैंने जयशंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय एवं उनकी प्रमुख कृतियों  के बारे में बताया है और कभी-कभी जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय या जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय लिखने के लिए बोर्ड परीक्षा में पूछ लिया जाता है तो आप नीचे दिए गए ट्रिक के द्वारा आप हिंदी का जीवन परिचय सबसे सरल भाषा में और अच्छी तरीके से लिख सकते हैं |

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं इनकी प्रमुख कृतियां - जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखें?, यूपी बोर्ड जीवन परिचय 

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय –

1. जन्म 30 जनवरी, 1889 ईस्वी
2. मृत्यु 15 नवम्बर, 1937 ईस्वी
3. जन्म-स्थान काशी
4. पिता का नाम श्री देवी प्रसाद
5. अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु बारह वर्ष की अवस्था में पिता की मृत्यु, जीवन कष्टमय |
6. काव्यगत विशेषताएँ छायावाद के प्रवर्तक, नये विचार, नवीन कल्पना, नयी शैलियाँ।
7. भाषा आरम्भ में ब्रजभाषा, बाद में खड़ी, शुद्ध संस्कृत, लाक्षणिक तथा मधुर भाषा।
8. शैली अनेक शैलियाँ, अलंकारों के नवीन उपमान। रचनाएँ – काव्य, नाटक, उपन्यास, कहानी आदि अनेक रचनाएँ।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।
(2011 HC, HD, HH, 12 DD, DF DG, 13 AP, AO, AT, 15 CY, 20 ZI, ZK, ZM)
अथवा
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए
(2017 MP, MO, 18 AQ, 19 CS, CU, CV CW)
अथवा
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय लिखिए।

नीचे इनके जीवन परिचय का उल्लेख किया गया है |

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय –

हिन्दी में छायावादी काव्य के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल द्वादशी, 30 जनवरी, 1889 ईस्वी को काशी के धनी, महादानी परिवार में हुआ था। जयशंकर प्रसाद के पितामह शिवरत्न साहू जी काशी के प्रसिद्ध दानियों में गिने जाते थे। बालक की अवस्था अभी बारह ही वर्ष की ही थी कि जयशंकर प्रसाद जी के पिता श्री देवीप्रसाद जी का स्वर्गवास हो गया। 15 वर्ष की अवस्था में माता का 17 वर्ष की अवस्था में बड़े भाई के निधन का दुःख आपने देखा उस समय प्रसाद सातवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। इन सबकी मृत्यु हो जाने पर घर का सारा भार प्रसाद के कन्धों पर आ पड़ा और इनका स्कूल जाना बन्द हो गया। प्रसाद ने तब घर पर ही पढ़ने का प्रबन्ध किया और एकचित हो अध्ययन में जुट गये। घर पर ही आपने संस्कृत और हिन्दी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। इसी बीच प्रसाद के हृदय ने एक के बाद दूसरी पत्नी को संसार से सदा के लिए विदा किया। उन्नीस वर्ष की अवस्था से ही प्रसाद ने ऐतिहासिक खोजों तथा छायावादी रचनाओं का प्रारम्भ कर दिया था। इनका जीवन अत्यन्त सरल था। स्वभाव से आप हँसमुख, मिलनसार, स्नेहशील और साहसी थे। कठिन से कठिन परिस्थितियाँ ‘प्रसाद’ के जीवन में आयीं, किन्तु उन सबका सामना करते हुए भी आप भगवती भारती की सेवा में निरन्तर जुटे रहे। किशोर अवस्था में ही परिवार का भारी बोझ अपने कन्धों पर संभाल कर आपने जो उच्च कोटि का ज्ञान प्राप्त किया और उसके फलस्वरूप हिन्दी साहित्य के भण्डार को जिन श्रेष्ठतम कृतियों से भरा, वे आपके अध्यवसाय एवं तीक्ष्ण प्रतिभा के ज्वलन्त उदाहरण हैं। भारतीय दर्शन, इतिहास, संस्कृति-साहित्य, विशेषकर बौद्ध साहित्य पर आपका गम्भीर अध्ययन है। प्रसाद जी का सारा जीवन संघर्षों में बीता। कठोर परिश्रम और संघर्ष के कारण वे राजयक्ष्मा के शिकार हो गये और 15 नवम्बर, 1937 ई0 में केवल 48 वर्ष की अल्पायु में परलोकवासी हो गये

जयशंकर प्रसाद जी साहित्यिक परिचय –

जयशंकर प्रसाद जी आधुनिक हिन्दी साहित्य की गौरवपूर्ण विभूति हैं। ये छायावाद के प्रवर्तक, उन्नायक और प्रतिनिधि कवि हैं। प्रसाद जी ने अपने काव्य में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा की है। ‘कामायनी’ में मनु को संकीर्णता के धरातल से ऊपर उठाकर आनन्द की व्यापक भूमि तक ले जाया गया है। वे आध्यात्मिक आनन्दवाद के अन्वेषण में चिन्तनशील हैं। उनके काव्य में हृदय की आकुलता है। यह उनके सम्पूर्ण काव्य में विभिन्न रूपों में व्याप्त है। वे फूलों से चल कर मनुष्य तक आते हैं और मानव से उठकर आध्यात्मिक क्रन्दन तक पहुँच जाते हैं। उनके काव्यगत रुदन में आध्यात्मिक निर्मलता की झलक दिखलाई पड़ती है।

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