जीवों में जनन Notes Class 12th – कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 1 – जीवों में जनन – Reproduction in Organisms Class 12 notes in Hindi PDF – भाग 1

जीवों में जनन Notes Class 12th – कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 1 – जीवों में जनन – Reproduction in Organisms Class 12 notes in Hindi PDF – Up Board Class 12th Biology Notes – भाग 1 

Reproduction in Organisms Class 12 notes in Hindi PDF
Reproduction in Organisms Class 12 notes in Hindi

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जीवन अवधि क्या हैं?/जीवन अवधि की परिभाषा –

जीवों का जन्म से लेकर उस जीव की प्राकृतिक मृत्यु तक की अवधि को जीवन अवधि कहते हैं |

विभिन्न जीवों की जीवन अवधि (जीवनकाल) –

क्रम संख्या  जीव का नाम  जीवन अवधि 
1. कुत्ता 15 वर्ष
2. हाथी 75 वर्ष
3. तितली 1 से 2 सप्ताह
4. कौआ 15 वर्ष
5. तोता 140 वर्ष
6. कछुआ 100 से 150 वर्ष
7. गेहूं का पादप 6 महिना
8. बरगद का वृक्ष 200 वर्ष

जीवन अवधि से संबधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु –

  1. किसी भी जीव की जीवन अवधि चाहे कितनी भी हो परन्तु प्रत्येक
    जीव की मृत्यु निश्चित हैं |
  2. कुछ ऐसे भी जीव हैं जिनकी प्राकृतिक मृत्यु  नहीं होती है। जैसे एककोशिकीय जीव (अमीबा व जीवाणु) इन जीवों को अमर प्राणी भी कहा जाता हैं  क्योंकि एककोशिकीय जीव की वृद्धि के साथ-साथ विभाजित होकर नए जीवों को जन्म देते हैं।

 जीवों का जीवनकाल क्रम –

जीव का जन्मजीव की वृद्धि तथा विकासजीव का  → जीव में जननजीव की मृत्यु

जनन क्या हैं?/जनन की परिभाषा/जनन क्या होता हैं? –

प्रत्येक जाति में अपने ही समान नए जीव उत्पन्न करने की क्षमता पाई जाती है, इसी प्रक्रिया को जनन कहते हैं।

  • सजीवों का प्रमुख लक्षण जनन होता हैं।
  • जनन एक जैविक क्रिया हैं

जनन का महत्व –

  • जनन से जाति की निरंतरता बनी रहती हैं ताकि वह जाति विलुप्त ना हो सके।
  • जनन के द्वारा जीव अपने वंश/जाति के अस्तित्व को बनाए रखता है।
  • लैंगिक जनन द्वारा जीवों में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है जो सजीवों के विकास में बहुत सहायक होती हैं।

जनन के प्रकार/जनन कितने प्रकार का होता हैं? :

जीवों में जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता हैं।

  1. लौंगिक जनन
  2. अलैंगिक जनन

1. अलैंगिक जनन/अलैंगिक जनन की परिभाषा/अलैंगिक जनन क्या होता हैं ?

इस जनन प्रक्रिया में केवल एक ही प्राणी भाग लेता हैं  अर्थात  जिस जनन क्रिया में एक जनक भाग लेता हैं उसे अलैंगिक जनन कहते हैं ।

  • अलैंगिक जनन में युग्मक निर्माण व युग्मक संलयन नहीं होता हैं।
  • अलैंगिक जनन में उत्पनन संतति आकार व आनुवांशिक रूप में जनक के समान होती है, जिन्हें ‘क्लोन’ कहते हैं।
  • अलैंगिक जनन में सभी समसूत्री विभाजन होते हैं।
  • अलैंगिक जनन तीव्र गति से होता है।
  • अलैंगिक जनन निम्न श्रेणी के जीवों में पाया जाता हैं।
  • उच्च कोटि के अकशेरूकी व कशेरूकी प्राणियों में अलैंगिक जनन नहीं पाया जाता हैं |
  • उच्च कोटि के पादपों में अलैंगिक जनन की एक विधि पाई जाती है, जिसे हम कायिक जनन कहते हैं

अलैंगिक जनन किन जीवों में पाया जाता हैं? –

अलैंगिक जनन निम्नलिखित जीवों में पाया जाता हैं

  1. जीवाणु
  2. कवक
  3. प्रोटोजोआ
  4. शैवाल

1. विखण्डन/विखण्डन क्या हैं?/विखण्डन की परिभाषा?/विखण्डन क्या होता हैं? –

इसके अन्तर्गत जब जनक कोशिका दो या दो से अधिक समान आकार की संतति कोशिकाओं में बंट जाती है तब इस प्रक्रिया को विखण्डन कहते है।

विखण्डन कितने प्रकार का होता हैं?/विखण्डन के प्रकार –

विखण्डन दो प्रकार से हो सकता है: –

  1. द्विविखण्डन
  2. बहुविखण्डन

(i) द्विविखण्डन क्या हैं?/द्विविखण्डन –

इसके अन्तर्गत एक जनक कोशिका दो समान भागों में बँट जाती है जिन्हें संतति कोशिकाऐं कहते है। प्रत्येक संतति कोशिका पोषण प्राप्त कर आकार में वृद्धि कर पुन: जनक के समान व्यस्क बन जाती है।

उदाहरण – अमीबा तथा पैरामीशियम

अमीबा में द्विखंडन
अमीबा में द्विखंडन

(ii) बहुविखण्डन क्या हैं?/बहुविखण्डन

इस प्रकार के अलैगिक जनन एक जनक कोशिका द्वारा अनेक संततियों को उत्पन्न किया जाता है।

उदाहरण – प्लाज्मोडियम।

2. खण्डन/खण्डन क्या हैं?/खण्डन की परिभाषा?/खण्डन क्या होता हैं? –

इस प्रकार के जनन में जनक कोशिका दो या दो से अधिक खण्डों में टूट जाती है, ये खण्ड समान या असमान हो सकते हैं।

  • प्रत्येक खण्ड द्वारा नए जीव का पुन: निर्माण होता हैं |
  • खण्डन की प्रक्रिया पादप के पुराने भागों के सड़ने – गलने व प्राकृतिक मृत्यु के द्वारा होती है।
  • खण्डन की प्रक्रिया पादप के पुराने भागों के सड़ने गलने व प्राकृतिक मृत्यु के द्वारा होती है।
  • जैसे:- ब्रायोफाइटा (रिक्सिया, मार्केन्सीया)
  • शैवाल
  • जैसे:- स्पइरोगाइरा में यांत्रिक क्षति हो जाने के कारण खंडन की प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं |

3. मुकुलन/मुकुलन क्या हैं?/मुकुलन की परिभाषा?/मुकुलन क्या होता हैं? –

इस प्रकार के अलैंगिक जनन जीवों में छोटी-2 कालिकाएँ या अतिवृद्धि उत्पन्न होती है जिसे मुकुल कहते है। मुकुल बनने की क्रिया, मुकुलन कहलाती है।

  • प्रारम्भ में यह मुकुल जनक से जुड़ा रहता है लेकिन बाद में अलग होकर नए जीव का निर्माण करता है। उदा:- हाइड्रा व यीस्ट |
  • कई बार एक से अधिक मुकुल एक के ऊपर एक विकसित होते चले जाते है तब इसे टोरूला अवस्था भी कहते है।

मुकुलन के प्रकार/मुकुलन कितने प्रकार के होते हैं? –

मुकुलन दो प्रकार से होता है?

  1. बर्हिजात मुकुलन
  2. अर्न्तजात मुकुलन
यीस्ट में मुकुलन/
यीस्ट में मुकुलन/हाइड्रा में मुकुलन

(1) बर्हिजात मुकुलन क्या होता हैं?/बर्हिजात मुकुलन की परिभाषा :-

इसके अन्तर्गत मुकुल का निर्माण प्राणी शरीर के बाहर होता है। उदा:- यीस्ट, हाइड्रा, साइफा ।

(2) अर्न्तजात मुकुलन क्या होता हैं?/अर्न्तजात मुकुलन की परिभाषा :-

इसमें मुकुल का निर्माण प्राणी शरीर के अंदर होता है। उदा:- स्पंजिला

4. बीजाणु/बीजाणु क्या हैं?/बीजाणु की परिभाषा?/जनन क्या होता हैं? –

अधिकांश कवक तथा शैवालों में विशेष गोलाकार सरचनाओं के द्वारा अलैंगिक जनन होता है, जिन्हे बीजाणु कहते है।

  • बीजाणु सूक्ष्म, एककोशिकीय, एककेन्द्रकीय, पतली भित्ति वाली गोलाकार संरचनाएँ होती है।

बीजाणु कितने प्रकार का होता हैं/बीजाणु के प्रकार

बीजाणु दो प्रकार के होते है:

  1. चल बीजाणु
  2. अचल बीजाणु

(1) चल बीजाणु –

चल बीजाणु में कशाभिकाएँ पाई जाती है जो चलन अंग का कार्य करती है। उदा:- क्लैमिडोमोनास

(2) अचल बीजाणु –

अचल बीजाणु गतिहीन होते है क्योंकि इसमें कशाभिकाएँ नहीं पाई जाती है। उदा:- यूलोथ्रिक्स।

जीवों में जनन नोट्स pdf

5. कोनिडिया/कोनिडिया क्या हैं?/कोनिडिया की परिभाषा?/कोनिडिया क्या होता हैं? –

कोनिडिया
कोनिडिया

ये कवकसूत्र पर पाए जाने वाले अचल बीजाणु है जो बर्हिजात अवस्था में बनते है। कवकतन्तु के सिरे पर छोटी-छोटी गोलाकार संरचनाएँ श्रृंखलाओं के रूप में बनती है, जिन्हे कोनिडिया कहते हैं |

  • जिस कवकतन्तु पर कोनिडिया बनते है उन्हें कोनिडियमधर कहते है।
  • वायु द्वारा कोनिडिया वातावरण में बिखर जाते है और अनुकूल परिस्थितियों में यह अंकुरित होकर नए कवक तन्तु का निर्माण करते है। उदा:- पेनिसीलियम
  • जब बीजाणु बीजाणुधानियों में बनते है तब ये अर्न्तजात कहलाते है। उदा:- म्युकर व राइजोपस।

6. जैम्युल/जैम्युल क्या हैं?/जैम्युल की परिभाषा?/जैम्युल क्या होता हैं?

यह एक प्रकार अर्न्तजात मुकुलन है जो प्रतिकुल परिस्थितियों में होता है। इसके अन्तर्गत जन्तु शरीर को आध कोशिकाएँ रक्षात्मक खोल के अन्दर छोटे-छोटे पिण्डों में बदल जाती है, जिन्हे जैम्युल कहते है।

  • जब अनुकूल परिस्थितियाँ आती है तब प्रत्येक जैम्युल से एक युवा प्राणी बनकर (व्हॉल से) खोल से बाहर आता है। उदा:- स्पंजिला ।
  • इस प्रकार एक स्पंजिला प्राणी से कई संख्या में नए जीवों का निर्माण हो जाता है |

जीवों में जनन का भाग दो यहाँ से पढ़ें –

जीवों में जनन अन्तिम भाग यहाँ से पढ़ें – 

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