कक्षा बारहवीं हिंदी मॉडल पेपर 2022 यूपी बोर्ड हल सहित | Class 12 Hindi Model Paper Up Board
kaksha 12 hindi model paper 2022 up board
(खंड-क)
प्रश्नोत्तर संख्या 1.
क) सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक हैं – श्यामसुंदर दास
ख) हिंदी प्रदीप के संपादक थे – बालकृष्ण भट्ट
ग) निंदा रस निबंध के रचनाकार हैं – हरिशंकर परसाई
घ) अशोक के फूल निबंध है – ललित
ड) निम्नलिखित में से कौन सा कवि छायावाद का नहीं है – मैथिलीशरण गुप्त
प्रश्नोत्तर संख्या 2.
क) आदिकाल के रचनाकार है – नरपति नाल्ह्य है
ख) तुलसीदास की रचना नहीं है – रामचंद्रिका
ग) द्विवेदी युग में लिखी गई रचना है – प्रियप्रवास
घ) गोस्वामी तुलसीदास के बचपन का नाम था – बोला राम
ड) कृष्ण काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि है – सूरदास
प्रश्नोत्तर संख्या 3. ( पद्यांश पर आधारित प्रश्न)
जन का प्रवाह अनंत होता है सहस्त्र वर्षों से भूमि के साथ राष्ट्रीय जन ने तादात्मय प्राप्त किया है जब तक सूर्य की रश्मिया नित्य प्रातः काल भुवन को अमृत से भर देती है तब तक राष्ट्रीय जन का जीवन भी अमर है इतिहास की अनेक उतार-चढ़ाव पार करने के बाद भी राष्ट्र निवासी जन नई उठती लहरों से आगे बढ़ने के लिए अजर अमर है जन का संतत वाही जीवन नदी के प्रवाह की तरह है, जिसमें कर्म और श्रम के द्वारा उत्थान के अनेक घाटों का निर्माण करना होता है |
- उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के गद्य में संकलित “राष्ट्र का स्वरूप” से लिया गया है जिसके लेखक डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल जी हैं
- ‘जन का प्रवाह’ से क्या तात्पर्य है
उत्तर – इसका तात्पर्य यह है कि जन का प्रवाह अनंत हीन होता है प्रत्येक राष्ट्र में निरंतर अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं इसके बाद भी राष्ट्र के निवासियों की श्रृंखला निरंतर बिना किसी बाधा के चलती रहती है
- उत्थान के घाटों का निर्माण कैसे होता है
उत्तर – नदी का प्रवाह निरंतर प्रवाहित होने के कारण नदी में बीच-बीच में डेल्टा बन जाता है इसी प्रकार राष्ट्र के जन भी अपने कर्म और श्रम के द्वारा उत्थान के अनेक प्रतिक तथा अवशेष छोड़ते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहते है |
- जन का संततवाही जीवन किस तरह है ?
उत्तर – राष्ट्र की जन या निवासियों का जीवन सतत रूप से चलने वाला है जिस प्रकार नदी सतत रूप से चलती रहती है |
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए
उत्तर – लेखक के अनुसार जब तक धरती पर सूर्य की किरणें प्रतिदिन धरती को अपने अमृत रस से जीवन प्रदान करती रहेंगी तभी तक किसी राष्ट्र और वहां के सभी जनों का अस्तित्व भी बना रहेगा जब तक राष्ट्र की प्रगति निरंतर चलती रहेगी और उसका अस्तित्व बनाए रखेंगे तभी तक राष्ट्रीय जन का जीवन भी बना रहेगा
प्रश्नोत्तर संख्या 4. (पद्यांश पर आधारित प्रश्न)
- उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश श्री जयशंकर प्रसाद के कामायनी महाकाव्य से हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक के पद्य-भाग में संकलित श्रद्धा मनु शीर्षक कविता से लिया गया है
- उत्तर – श्रद्धा मनु से उसका परिचय जानने के लिए प्रश्न करते हुए कहते हैं कि मेरे इस अत्यंत निराशा पूर्ण और अंधकार पूर्ण जीवन में काले बादलों के बीच बिजली की रेखा के समान और वेदना से तप्त मेरे जीवन में शीतल और मंद गति से चलने वाली पवन के समान कौन हो तुम ?
- उत्तर – आगंतुक व्यक्ति शब्दों के माध्यम से मनु की ओर संकेत किया गया है
- उत्तर – इस पद्यांश में श्रद्धा के द्वारा मनु की उत्कंठा मिटाने की बात की गई है
- उत्तर – इस पद्यांश में मनु और श्रद्धा के बीच संवाद हो रहा है
प्रश्नोत्तर संख्या 5. (लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचना)
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी –आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 ईस्वी में बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक ग्राम में हुआ था इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी था जो कि ज्योतिष थे इन्हीं को भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि से विभूषित किया है तथा इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया है और यह 19 मई 1979 को स्वर्ग सिधार हो गए
इन की प्रमुख रचनाएं –
- निबंध संग्रह – अशोक के फूल, विचार प्रवाह, आलोक पर्व, कुटज
- आलोचना साहित्य – सूरदास, कबीर, साहित्य सहचर साहित्य का मर्म
- उपन्यास – बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचंद्र लेख, अनामदास का पोथा
- संपादन – संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, संदेश रासक
प्रश्नोत्तर संख्या 6. (कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियां)
रामधारी सिंह दिनकर – श्री रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 30 सितंबर 1908 ईस्वी को जिला मुंगेर बिहार के सिमरिया नामक ग्राम में हुआ था इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह और माता का नाम श्रीमती मन रूप देवी था इनकी 2 वर्ष की अवस्था में ही पिता की मौत हो गई थी और इनका लालन पोषण इनके बड़े भाई वसंत सिंह और माता की छत्रछाया में ही हुआ इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला में हुई और यह विद्यालय के लिए घर से पैदल 10 मील रोज आना-जाना करते थे अतः इनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 ईस्वी को मद्रास जो कि चेन्नई में हुई |
इनकी प्रमुख कृतियां – रेणुका, हुंकार, कुरुक्षेत्र, उर्वशी