कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 6 नोट्स | जैव प्रक्रम कक्षा 10 विज्ञान | NCERT Class 10 Science Chapter 6 in HIndi | Class 10 Science Chapter 6 notes pdf – भाग 2

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 6 नोट्स | जैव प्रक्रम कक्षा 10 विज्ञान | NCERT Class 10 Science Chapter 6 in HIndi | Class 10 Science Chapter 6 notes pdf – भाग 2

क्षुद्रान्त में पाचन –

इसमें आंत ग्रन्थियों से आंत रस
स्त्रावित होता है। इसमें कई एन्जादम होते है।
a) इरेप्सिन : ये शेष प्रोटीन तथा उसके अवयवों को एमीनों अम्ल में बदलता है।
b) माल्टेज तथा लैक्टेज : ये विभिन्न शर्कराओं को ग्लूकोज में बदलते है।
c) लाइपेज : शेष वसाओं को वसीय अम्ल तथा ग्लिसराल में बदलते है।

NCERT Class 10 Science Chapter 6 life Process in Hind
NCERT Class 10 Science Chapter 6 life Process in Hind
छोटी आंत में पाचन –

यह तीन भागों में बटा हुआ है
1.) पहला भाग आमाशय के साथ u बनाता है उसे ग्रहणी कहते हैं।
2.) मध्यभाग मध्यान्त कहलाता है।
3.) अन्तिम भाग शेषान्त्र कहलाता है।
छोटी आंत में भोजन का पूरा पाचन होने पर पचा हुआ भोजन छोटी आंत के पश्च हो भाग में अवशोषित जाता है। अवशोषित पोषक पदार्थ रुधिर के माध्यम से शरीर के विभिन्न ऊतकों तथा कोशिकाओं में पहुंचता है।

बड़ी आंत या वृहदान्त्र –

वृहदान्त्र की लम्बाई 1.5 मी० होती हैं। बड़ी आंत को तीन भागों में बांटा गया है। पहला भाग सीकम कहलाता है जिससे 9cm लंबी, सकरी बंद नलिका जुड़ी होती है जिसे वर्गीफार्म एपेन्डिक्स कहते है।
दूसरा भाग 3 इंच चौड़ी नलिका के आकार का होता है
जो कोलन कहलाता है।
* बडी आत का अन्तिम भाग रेक्टम कहलाता है। यह अपचित भोजन को मल के रूप में बाहर निकाल देता है।

मनुष्य में पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive gland in human body) –

मनुष्य के शरीर में कई पाचक ग्रन्थियाँ पायी जाती है जो भोजन के पाचन में सहायता करती है। लार ग्रन्थियाँ, यकृत, जठर रस ग्रन्थियाँ, आन्तीय ग्रन्थियाँ मनुष्य के शरीर में पाई जाने वाली प्रमुख पाचक ग्रन्धियाँ है।
1·) लार ग्रन्थियाँ (Balivasuy Gland) : यह मुख में एक तरल व चिकना पदार्थ स्तावित करती है जिसे लार लार मे कहते है उपस्थित टाइलिन अथवा सैलाइवरी एंजाइम भोजन को पचाने में सहायता करती है।
मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ पायी जाती है।
(a) कर्णमूल ग्रन्थियाँ – ये कर्णपल्लवों के नीचे स्थित होती है।
(b) अघोटन ग्रन्थिया – ये निचले जबड़े के पश्च भाग पर – स्थित होती है।
(C) अघोजिहा ग्रन्थियाँ – ये जीभ के नीचे स्थित होती है।

2.) यकृत – यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है। जिसका भार लगभग 1.5 kg होता है। यकृत में एक शैली लटकी होती है जिसे पित्ताश कहते है। यकृत कोशिकाओं से स्तावित पित्तरस पित्ताशय में एकत्रित होता है और आवश्यकतानुसार भोजन के पाचन मे प्रयुक्त होता है।

यकृत के कार्य :
* यकृत कोशिकाएं पित्त रस का स्ताव करती है। जो वसा के पाचन में आवश्यक है।
* रुधिर में उपस्थित आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज को यकृत ग्लाइकोजन में बदलकर संचित करता है।
* शरीर की आवश्यकता के अनुसार यकृत प्रोटीन व वसा से ग्लूकोज का निर्माण करता है।
* यकृत शरीर के कुल रुधिर का ⅓ रूधिर संचित करता है।
* यह विषैले पदार्थों का विष हरण करता है।
3.अग्न्याशय – ग्रहणी की दोनों भुजाओं के मध्य पत्ती के आकार की गुलाबी, चपटी, कोमल ग्रन्थि स्थित होती है ।
अग्न्याशय को मिश्रित ग्रन्थि कहते है । इसमें एक बहिः स्त्राव भाग होता हैं जो अग्न्याशिक रस स्तावित करता है, जबकि दूसरा अन्तः स्त्रावी भाग होता है जिसे लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ कहते है।
अग्न्याशय के कार्य :
1- अग्न्याशयी रस का स्त्राव : अग्न्याशय की कोशिकाओं ने अग्न्याशयी रस स्तावित किया करती है जिसमें काइमोटिप्सिन, ट्रिप्सिन, एमाइलेज तथा लाइपेज नामक एन्जाइम्स होते हैं। जो कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन तथा वसा के पाचन में सहायक होते है।
2- हार्मोन्स तथा स्त्रावण : अग्न्याशय की लैगरहैन्स की द्वीपिकाएँ इन्सुलिन नामक हार्मोन बनाती है जो ग्लूकोज के उपाचय का नियंत्रण करता है।
3 – जठर ग्रन्थियाँ : आमाशय की श्लेष्मक कला गाढ़े चिपचिपे श्लेष्म का स्ताव करती है।
* आमाशय की जठर ग्रन्थियाँ जठर रस का स्ताव है जिसमें HCl, पेप्सिन तथा रेनिन नामक एन्जाइम्स होते है।
* पेप्सिन प्रोटीन के पाचन तथा रेनिन दुग्ध प्रोटीन के पाचन में सहायक होते है।
* HCl भोजन के साथ आमाशय में आए हानिकारक पदार्थों तथा जीवाणुओं को नष्ट करता है।
4- आन्तीय ग्रन्थियाँ : छोटी आंत की श्लेष्म कला में लिवर कुहन की दरारें स्थित होती है इनसे एक रस का स्ताव होता है जिसे आन्तीय रस कहते है।
* इस रस में कई पाचक एन्जाइम्स पाए जाते हैं, जो
प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा का पाचन करते है।

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