कक्षा 10 विज्ञान प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन/कक्षा 10 विज्ञान चैप्टर 10 नोट्स //NCERT Class 10th Science Chapter 10 //10th Science Notes in Hindi – अन्तिम भाग

इसमें मैंने कक्षा दसवीं विज्ञान अध्याय 10 का नोट्स पूरा लिखित दिया हूं यदि आप कक्षा दसवीं का नोट्स कंप्लीट करना चाहते हैं तो आप इसको पढ़कर आप अपना कक्षा दसवीं विज्ञान प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन का नोट्स अच्छी तरह से लिख सकते हैं यह कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 10 का अंतिम भाग है

अपवर्तनांक एवं प्रकाश की चाल-

विज्ञान अध्याय 10 का नोट्स

विज्ञान अध्याय 10 का नोट्स

क्रांतिक कोण –

सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90 अंश होता है उसे क्रांतिक कोण कहते हैं क्रांतिक कोण को C से प्रदर्शित किया जाता है

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन–

जब आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से थोड़ा सा अधिक हो जाय प्रकाश विरल माध्यम में बिल्कुल भी नहीं जा पाता बल्कि सम्पूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट आता है इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते है।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की दो शर्तें है
1.) प्रकाश सधन माध्यम से विरल माध्यम में जा रहा है।

2-) आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से अधिक हो।

लेन्स-

लेन्स एक ऐसा पारदर्शी माध्यम है, जो दो गोलीय पृष्ठों से अथवा एक गोलीय तथा एक समतल पृष्ठ से घिरा होता है।
* लेन्स मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं।
1- उत्तल लेन्स
2- अवतल लेन्स

1. उत्तल लेन्स -:

ये लेन्स बीच में मोटे तथा किनारों पर पतले होते है। उत्तल लेन्स कहलाते हैं

2. अवतल लेन्स:-

अवतल लेन्स बीच में पतले तथा किनारों पर मोटे होते हैं।

लेन्स से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ –

1. प्रकाशिक केन्द्र –

लेन्स के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जहाँ से जाने वाली प्रकाश की किरणें बिना विचलित हुए सीधे निकल जाती है। इसे ‘C’ से प्रदर्शित करते हैं।

2. प्रथम फोकस व प्रथम फोकस दूरी –

मुख्य अक्ष पर वह बिन्दु जहाँ से आने वाली प्रकाश की किरणें (उत्तल (लेन्स में ) अथवा एक निश्चित बिन्दु की ओर जाती प्रतीत होने वाली किरणें (अवतल लेन्स) अपवर्तित होकर मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है इसे f से प्रदर्शित करते हैं
* लेन्स के प्रकाशिक केन्द्र से प्रथम फोकस के बीच की दूरी को प्रथम फोकस दूरी कहते है।

3. द्वितीय फोकस व द्वितीय फोक्स दूरी –

लेन्स की मुख्य ‘ अक्ष के समान्तर चलने वाली किरणें लेन्स से अपवर्तित होकर मुख्य अक्ष पर स्थित एक निश्चित बिन्दु से या तो होकर जाती है (उत्तल लेन्स में) या तो एक बिन्दु से आती हुई प्रतीत होने वाली किरणें (अवतल लेन्स) द्वितीय फोकस कहलाती है।
* द्वितीय फोकस व प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी को द्वितीय फोक्स दूरी कहते हैं ।

4. फोकस तल-

मुख्य अक्ष के अभिलम्बवत् तथा मुख्य फोकस से होकर जाने वाले तल को फोकस तल करते हैं। चूंकि मुख्य फोकस दो होते हैं अतः फोकस तल भी दो प्रकार के होते है
1.) प्रथम फोकस तल
2.) द्वितीय फोकस तल इसे f१f२ से प्रदर्शित करते हैं।
लेंस के लिए u, v, f में संबंध –
1/f = 1/v-1/u
u = वस्तु से लेन्स के प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी |
v= प्रतिबिम्ब से लेन्स के प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी
f = लेन्स की फोकस दूरी |

उत्तल लेन्स द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –

1. जब वस्तु अनन्त पर हो –

ऐसी स्थिति में उस वस्तु का प्रतिबिम्ब द्वितीय फोकस तल पर बनता है।
* यह वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु से बहुत छोटा होता है।

2- जब वस्तु अनन्त तथा 2f के मध्य में हो –

ऐसी स्थिति में वस्तु का प्रतिविम्व लेन्स के दूसरी ओर f तथा 2f के मध्य मे बनता है।
* वास्तविक उल्टा तथा आकार में बहुत छोटा

जब वस्तु अनन्त तथा 2f के मध्य में हो

3- जब वस्तु 2f पर स्थित हो –

तो ऐसी स्थिति में वस्तु का प्रतिविम्व लेन्स के दूसरी ओर 2f पर बनता है। है
*वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु से बराबर बनता है।

जब वस्तु 2f पर स्थित हो

4- जब वस्तु 2f तथा f के मध्य स्थित हो –

तो वस्तु का प्रतिबिंब लेन्स के दूसरी ओर अनन्त तथा 2f के मध्य बनेगा।
* वास्तविक उल्टा तथा आकार में वस्तु से बड़ा बनेगा।

जब वस्तु 2f तथा f के मध्य स्थित हो

5- वस्तु f पर स्थित हो-

तो वस्तु का प्रतिबिंब लेन्स के दूसरी ओर अनन्त पर बनता है।
* वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु से बहुत बड़ा
बनता है।

वस्तु f पर स्थित हो

6- जब वस्तु f तथा c लेंस के मध्य स्थित हो –

तो वस्तु का प्रतिबिंब वस्तु की ओर बनेगा
* यह आभासी, सीधा तथा आकार में वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा

जब वस्तु f तथा c लेंस के मध्य स्थित हो

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