इस पोस्ट पर मैंने कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय 10 का प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन के भाग 3 का पोस्ट में लिखा है आप इस कक्षा दसवीं विज्ञान लिखित नोट्स को पढ़कर, आप अपनी नोट्स अच्छे से तैयार कर सकते हैं और आप कक्षा दसवीं में अच्छा नंबर पाना चाहते हैं तो अपने इस वेबसाइट को जरूर फॉलो करें
उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना –
उत्तल दर्पण की प्रत्येक स्थिति में प्रतिविम्व दर्पण के पीछे बनता है।
* यह ध्रुव तथा फोक्स के मध्य में बनता है।
* आभासी, सीधा तथा आकार में वस्तु से छोटा बनता है
दूरियाँ नापने की निर्देशांक ज्यामिति की चिन्ह परिपाटी –
प्रकाश के दर्पणों व लेन्सों की फोक्स दूरियाँ, वस्तुओं तथा प्रतिबिंबो की स्थितियाँ तथा आकार आदि को व्यक्त करने के लिए भिन्न भिन्न चिन्ह परिपाटीओ का उपयोग किया जाता है।
* इनमें सबसे सरल निर्देशांक ज्यामिति की परिपाटी है।
* इस परिपाटी के अनुसार-
(1.) दर्पण पर प्रकाश किरणे सदैव बायी ओर से डाली जाती है।
(2.) समस्त इरियाँ दर्पण के ध्रुव से मुख्य अक्ष के साथ नापी जाती है।
(3.) दर्पण का ध्रुव मूलविन्दु लिया जाता है तथा मुख्य अक्ष- X ली जाती है। ध्रुव से गुजरने वाली तथा मुख्य अझ के लम्बवत रेखा Y- अक्ष ली जाती है।
(4.) मुख्य अक्ष के अनुदिश ध्रुव से दायीं ओर नापी जाने
वाली दूरियां, धनात्मक चिन्ह के साथ ली जाती है। तथा ध्रुव से बायीं ओर ऋणात्मक चिन्ह के साथ ली जाती है। (5.) प्रतिबिंब तथा वस्तु की लम्बाइयाँ मुरूप अक्ष से ऊपर की ओर धनात्मक तथा नीचे की ओर ऋणात्मक ली जाती है।
इन नियमों के अनुसार एक उत्तल दर्पण की फोक्स दूरी धनात्मक होगी तथा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक होगी ।
सीधे प्रतिबिग्वों के लिए आवर्धन धनात्मक तथा उल्टे प्रतिबिग्वों के लिए ऋणात्मक होगा।
रेखीय आवर्धन :
प्रतिबिंब की लंबाई तथा वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन (m) कहते है जबकि दोनों लंबाइया मुख्य- अक्ष क़े लम्बवत् नापी गई हो।
रेखीय आवर्धन=
M = -V/u
* अवतल तथा उत्तल दोनों दर्पण के लिए आवर्धन का यही सूत्र होगा।
अवतल दर्पण की फोकस दूरी के सूत्र का निगमन –
उत्तल दर्पण के लिए सूत्र –
चिन्ह परिपाटी के अनुसार दर्पण से वस्तु की दूरी ऋणात्मक है परंतु उत्तल दर्पण में वक्रता त्रिज्या, फोकस दूरी और प्रतिबिंब की दूरी तीनों धनात्मक होगी |
उत्तल दर्पण के लिए भी u तथा f के बीच एक संबंध है जिसे दर्पण सूत्र के द्वारा प्रस्तुत किया गया है
1/f = 1/v + 1/u
संयुग्मी फोकस अथवा संयुग्मी बिन्दु –
उन दो बिन्दुओं को संयुग्मी फोक्स कहते हैं, जिनमें से एक बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिविम्व दूसरे बिन्दु पर बनता है।
प्रकाश का अपवर्तन –
प्रकाश किरण के एक माध्यम से दूसरे माध्यम से जाने पर अपने मार्ग से विचलित होने को प्रकाश का अपवर्तन कहते है।
अपवर्तन के नियम -:
प्रकाश अपवर्तन की दो मुख्य नियम है
1- प्रथम नियम -: आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है।
2- द्वितीय नियम : किन्ही दो माध्यमों के लिए एक ही रंग के प्रकाश के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। इसे स्नैल का नियम भी कहते हैं।
अर्थात
Sini/Sinr = नियतांक
Sini/Sinr = n
* n एक नियताक है जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते है।
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इसके आगे वाले नोट्स आपको अगले पोस्ट में मिलेगी
धन्यवाद |