यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी पिछले साल का पेपर हल सहित | Up Board Previous Year Question Paper Class 12 Hindi | Up Board 12th Hindi Question Paper PDF | सेट 1
SET 1 इण्टरमीडिएट
सामान्य हिन्दी 302(ZH)
समय : तीन घण्टे 15 मिनट ] [ पूर्णांक: 100
निर्देश- प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
खण्ड-क
1. (क) वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित कृति है
(5 x 1 = 5)
(i) पुनर्नवा
(ii) पृथिवीपुत्र
(iii) आलोक पर्व
(iv) धरती के फूल
उत्तर – (ii) पृथिवीपुत्र
(ख) प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी लेखक हैं
(i) सदाचार की ताबीज
(ii) साहित्य का श्रेय और प्रेय
(iii) मेरे विचार
(iv) मंथन
उत्तर – (iii) मेरे विचार
(ग) यशपाल कृत ‘सिंहावलोकन’ रचना की विधा है
(i) आत्मकथा
(ii) रेखाचित्र
(iii) संस्मरण
(iv) कहानी
उत्तर – (i) आत्मकथा
(घ) ‘निराला की साहित्य साधना’ के लेखक हैं
(i) सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
(ii) महादेवी वर्मा
(iii) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(iv) डॉ. रामविलास शर्मा
उत्तर – (iv) डॉ. रामविलास शर्मा
(ङ) आलोचनात्मक कृति ‘साहित्य सहचर’ के लेखक हैं
(i) रामचन्द्र शुक्ल
(ii) श्यामसुन्दर दास
(iii) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(iv) हरिशंकर परसाई
उत्तर – (iii) हजारीप्रसाद द्विवेदी
2. (क) हिन्दी साहित्य का प्रथम कवि माना जाता है
(5 x 1 = 5)
(i) शबरपा
(ii) देवसेन
(iii) सरहपा
(iv) खुमाण रासो
उत्तर – (iii) सरहपा
(ख) ‘नई कविता युग’ की रचना है
(i) यामा
(ii) खुशबू के शिलालेख
(iii) प्रलय सृजन
(iv) पुरूरवा
उत्तर – (ii) खुशबू के शिलालेख
(ग) ‘तारसप्तक’ का प्रकाशन वर्ष है
(1) 1954
(ii) 1943
(iii) 1938
(iv) 1936
उत्तर – (ii) 1943
(घ) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा प्रकाशित पत्रिका है
(i) सरस्वती
(ii) कल्पना
(iii) कविवाचन सुधा
(iv) ज्ञानोदय
उत्तर – (iii) कविवाचन सुधा
(ङ) रीतिकाल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है
(i) राज-प्रशस्ति
(ii) शृंगारिकता
(iii) रीति निरूपणता
(iv) नीति
उत्तर – यह प्रश्न आया था लेकिन उत्तर नहीं मिला आप इसे ढूंढ लो
3. दिए गए गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (5 x 2 = 10)
माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है। इसी प्रकार पृथ्वी पर बसने वाले जन बराबर हैं। उनमें ऊँच और नीच का भाव नहीं है। जो मातृभूमि के उदय के साथ जुड़ा हुआ है, वह समान अधिकार का भागी है। पृथ्वी पर निवास करने वाले जनों का विस्तार अनन्त है-नगर और जनपद, और गाँव, जंगल और पर्वत नाना प्रकार के जनों से भरे हुए हैं। ये जन अनेक प्रकार की भाषाएँ बोलने वाले और अनेक धर्मों के मानने वाले हैं, फिर भी ये मातृभूमि के पुत्र हैं।
(क) पुत्र को समान भाव से कौन रखती है ?
उत्तर – पृथ्वी माता अपने पुत्र को समान भाव से रखना चाहती हैं
(ख) समान अधिकार का भागी कौन है?
उत्तर – समान अधिकार का भागी प्रत्येक प्राणी है।
(ग) पृथ्वी पर किसका विस्तार अनन्त है?
उत्तर – पृथ्वी पर निवास करने वाले जनों का विस्तार अनन्त है।
(घ) ‘अनन्त’ और ‘जनपद’ शब्द का अर्थ लिखिए।
उत्तर – अनन्त का अर्थ है जिसका कोई अन्त न हो अर्थात असीमित। जनपद का अर्थ है-जिला।
(ङ) पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक है, ‘राष्ट्र का स्वरूप’ हैं और इसके लेखक ‘वासुदेवशरण अग्रवाल’ जी हैं।
4. दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (5 x 2 = 10)
मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्र वाले।
जाके आये न मधुवन से औ न भेजा सँदेसा।
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ।
जाके मेरी सब दुःख कथा श्याम को तू सुना दे ॥
(i) राधा किसके द्वारा कृष्ण को संदेश भिजवाती है?
उत्तर – राधा पवन को दूतिका बनाकर उसके द्वारा कृष्ण को संदेशा भिजवाती है।
(ii) कृष्ण का सौंदर्य कैसा है? उल्लेख कीजिए।
उत्तर – भगवान श्री कृष्ण नवीन मेघ जैसी शोभा वाले और कमल जैसे नेत्रों वाले हैं।
(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – राधा पवन से कहती है कि भगवान श्री कृष्ण मथुरा जाकर वापस नहीं आये हैं तथा वहाँ से न कोई संदेशा ही भिजवाया है।
(iv) राधा की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर – राधा पवन से कहती हैं कि मैं श्री कृष्ण के वियोग में रो-रो कर पागल हो गयी हूँ। और मेरी विरह दशा उन्हें सुना देना।
(v) उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर – इस पाठ का शीर्षक ‘पवन दूतिका’ है | और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी इसके रचनाकार हैं।
5. (क) निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए- (शब्द सीमा 80 शब्द) 3+2=5
(i) डॉ. कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ii) डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
(iii) हरिशंकर परसाई
उत्तर – डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म बलिया जिले के दुबे। का छपरा नामक गाँव में एक सरयूपारीय ब्राह्मण परिवार में सन् 1907 ई० को हुआ था। पारिवारिक परम्परा के अनुसार इन्होंने प्रारम्भ में संस्कृत का अध्ययन किया और सन् 1930 ई० में काशी विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसी वर्ष प्राध्यापक होकर शान्ति निकेतन चले गये। सन् 1940 से 1950 ई० तक वहाँ हिन्दी भवन के निदेशक के पद पर कार्य करते रहे और सन् 1950 ई० में आप काशी विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए। इससे एक वर्ष पूर्व ही लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आप डी० लिट् की सम्मानित उपाधि से विभूषित हुए। भारत सरकार ने सन् 1957 ई० में इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि प्रदान किया। सन् 1960 से 1966 ई0 तक ये चण्डीगढ़ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। इनका देहान्त 18 मई, सन् 1979 ई० को हो गया।
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की प्रमुख कृतियाँ –
1. निबन्ध संग्रह – अशोक के फूल, कुटज, विचार प्रवाह, विचार और वितर्क, आलोक पर्व, कल्पलता।
2. आलोचना साहित्य – सूर साहित्य, कालिदास की लालित्य योजना, कबीर, साहित्य- सहचर, साहित्य का मर्म।
3. इतिहास – हिन्दी साहित्य की भूमिका हिन्दी साहित्य का आदिकाल, हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास।
4. उपन्यास – बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्र लेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा।
5. सम्पादन – नाथ-सिद्धों की बानियाँ, संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो, सन्देश रासक
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए। (शब्द सीमा 80 शब्द) 3+2=5
(i) मैथिलीशरण गुप्त
(iii) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(ii) सुमित्रानन्दन पन्त