यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी लेखक का जीवन परिचय : कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय – कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का साहित्यिक परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाएं

यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी लेखक का जीवन परिचय : कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय – कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का साहित्यिक परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाएं

यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी लेखक का जीवन परिचय : कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' का जीवन परिचय - कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' का साहित्यिक परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाएं

इस ब्लॉग पोस्ट में मैंने SKM STUDY CLASSES के माध्यम से यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी लेखक का जीवन परिचयकन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय को बताया हैं, ये यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी जीवन परिचय बहुत महत्वपूर्ण हैं | इसमें मैंने कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख भी किया है आप इस कक्षा बारहवीं सामान्य हिंदी की लेखक के जीवन परिचय को तैयार कर लेते हैं 5 अंकों का बोर्ड परीक्षा में आप आसानी से पा जाएंगे |

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय –

1. जन्म  29 मई, 1906 ईस्वी |
2. जन्म स्थान सहारनपुर |
3. पिता का नाम  पंडित रामदत्त मिश्र |
4. संपादन  ज्ञानोदय, ‘नया जीवन’, ‘विकास’ |
5. लेखन विधा  गद्य-साहित्य |
6. भाषा  शुद्ध और साहित्यिक खड़ीं बोली |
7. शैली  भावात्मक, नाटकीय |
8. मृत्यु  9 मई, 1995 ईस्वी |
9. प्रमुख रचनाएँ  आकाश के तारें, धरती के फूल |

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का साहित्यिक परिचय एवं उनकी प्रमुख रचनाएं – 

प्रसिद्ध रिपोर्ताज लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म 29 मई सन् 1906 ई० को देवबन्द, (सहारनपुर) में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता पं० रमादत्त मिश्र बहुत मृदु स्वभाव के थे, लेकिन माताजी कठोर हृदय वाली थीं। इन्होंने इसी विषय में अपने एक संस्मरण में भी लिखा है- “पिता जी दूध मिश्री थे, तो माँ लाल मिर्च।” परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा ठीक प्रकार नहीं हो पाई। पढ़ने की उम्र में ही देशानुराग की भावना इनके मन में जाग्रत हो गई। खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में प्रसिद्ध राष्ट्र नेता मौलाना आसफ अली के भाषण का इन पर गहरा प्रभाव हुआ और ये स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े तथा आजीवन देश-सेवा में लगे रहे। इसी कारण कई बार इन्हें जेल-यात्रा भी करनी पड़ी। ये सदैव राष्ट्र नेताओं के सम्पर्क में रहते थे। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जीवन पर्यन्त ये पत्रकारिता में संलग्न रहे। इन्होंने कई स्वतन्त्रता सेनानियों के संस्मरण लिखे है, जिनमें भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास का यथार्थ चित्रण हुआ है। 9 मई सन् 1995 ई० को इस देशानुरागी तथा महान् साहित्यकार ने अन्तिम साँस ली।

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी का  साहित्यिक योगदान-

हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रकारों, संस्मरणकारों और निबन्धकारों में प्रभाकर जी का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाओं में कलागत आत्मपरकता, चित्रात्मकता और संस्मरणात्मकता को ही प्रमुखता प्राप्त हुई है। पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकर जी को अभूतपूर्व सफलता मिली। पत्रकारिता को इन्होंने स्वार्थसिद्धि का साधन नहीं बनाया, वरन् उसका उपयोग उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना में ही किया। प्रभाकर जी ने हिन्दी गद्य को एक नई शैली दी। इनकी यह शैली नए मुहावरों और लोकोक्तियों से युक्त है। अपने फुटकर लेखों द्वारा इन्होंने मानवीय आदर्शों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनका यही आदर्श पत्रकारिता के क्षेत्र में भी दिखाई देता है। स्वतंत्रता आन्दोलन के दिनों में इन्होंने स्वतन्त्रता सेनानियों के अनेक मार्मिक संस्मरण लिखे। इन संस्मरणों में भारत के स्वाधीनता संग्राम का इतिहास स्पष्ट हुआ है और इनमें युगीन परिस्थितियों और समस्याओं का सजीव चित्रण भी हुआ है । इस प्रकार संस्मरण, रिपोर्ताज और पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकर जी की सेवाएँ चिरस्मरणीय हैं।

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी के प्रमुख रचनाएं – 

रेखाचित्र – माटी हो गई सोना, नई पीढ़ी के विचार, जिन्दगी मुस्कराई, भूले-बिसरे चेहरे |
संस्मरण – दीप जले शंख बजे ।
ललित निबन्ध – क्षण बोले कण मुस्काए, बाजे पायलिया के घुँघरू ।
सम्पादन – विकास, नया जीवन (समाचार-पत्र )
लघुकथा  – धरती के फूल, आकाश के तारे ।
यात्रा-वृत्त – हमारी जापान यात्रा

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